विदेशों में Rare Earth Elements की तलाश : चीन के एकाधिकार को चुनौती देने की तैयारी में NLC India

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नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनी एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLC India Limited) अब विदेशों में दुर्लभ खनिज (Rare Earth Elements – REE) तत्वों को खरीदने की संभावना तलाश रही है। यह जानकारी कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक प्रसन्ना कुमार मोटुपल्ली (Prasanna Kumar Motupalli) ने दी है। इस कदम को चीन के हालिया निर्यात अंकुशों के बाद महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (global supply chain) में हो रहे बदलावों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।

पश्चिम अफ्रीका और कांगो में शुरुआती बातचीत

मोटुपल्ली ने बताया कि एनएलसी इंडिया ने पश्चिम अफ्रीका के माली (Mali) में लिथियम ब्लॉक (Lithium block) और कांगो गणराज्य (Republic of Congo) में तांबा (Copper) और कोबाल्ट (Cobalt) खदानों के लिए शुरुआती बातचीत (initial talks) भी शुरू कर दी है। ये खनिज आज के डिजिटल युग और हरित ऊर्जा परिवर्तन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ के निर्यात पर अंकुश लगा दिया है। चीन दुनिया में रेयर अर्थ का सबसे बड़ा उत्पादक है और उसके इस कदम से इन महत्वपूर्ण खनिजों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। रेयर अर्थ का इस्तेमाल घरेलू उपकरण (home appliances) से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicle – EV) विनिर्माण (manufacturing) तक में होता है।

मंत्रालयों की सलाह और आक्रामक खोज

मोटुपल्ली ने एक साक्षात्कार में कहा कि खान और कोयला मंत्रालय (Ministry of Mines and Coal Ministry) दोनों ने इस नवरत्न कंपनी को महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉक (critical mineral blocks) और दुर्लभ मृदा तत्वों दोनों के लिए आक्रामक तरीके से संभावनाएं तलाशने को कहा है। यह भारत की आत्मनिर्भरता (self-reliance) और महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति सुरक्षा (supply security) सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ने आगे कहा, “हम खान मंत्रालय और कोयला मंत्रालय के संपर्क में हैं और उनकी सलाह के आधार पर हमने विदेशों में स्थित कुछ खदानों के लिए शुरुआती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसलिए, फिलहाल हम माली में कुछ लिथियम खदानों और कांगो गणराज्य में तांबे और कोबाल्ट की खानों का अध्ययन कर रहे हैं।”

सावधानीपूर्वक आगे बढ़ने की रणनीति

उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी चीजें शुरुआती चरण (initial stage) में हैं और गैर-खुलासा समझौते (Non-Disclosure Agreement – NDA) पर हस्ताक्षर के बाद इस दिशा में आगे कदम उठाया जाएगा। समझौते पर इसी महीने हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

हालांकि, मोटुपल्ली ने यह भी ज़ोर दिया कि कंपनी अंतिम रूप देते समय सावधानी बरतेगी। उन्होंने कहा, “हम संबंधित देशों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और स्थिरता जैसे सभी कारकों को ध्यान में रखेंगे और फिर आगे बढ़ेंगे।” यह एक महत्वपूर्ण विचार है, क्योंकि विदेशी निवेश में राजनीतिक स्थिरता और स्थानीय परिस्थितियों का मूल्यांकन करना आवश्यक होता है।

अगले पांच साल का महत्वाकांक्षी लक्ष्य

एनएलसी इंडिया अगले पांच साल में घरेलू और विदेशी स्रोतों से 10 लाख टन महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन (1 million tonnes of critical mineral production) का लक्ष्य लेकर चल रही है। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जो भारत की बढ़ती औद्योगिक ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।

एनएलसी इंडिया के मुख्य कारोबार में वर्तमान में कोयला और लिग्नाइट खनन (coal and lignite mining) के साथ-साथ बिजली उत्पादन (power generation) भी शामिल है। महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और उत्पादन में इसका प्रवेश कंपनी के व्यावसायिक पोर्टफोलियो में विविधता लाएगा और उसे भविष्य की ऊर्जा और प्रौद्योगिकी की ज़रूरतों के लिए तैयार करेगा।

 

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