मुंबई: भारतीय खनन क्षेत्र के बड़े कारोबारी अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) के वेदांता समूह (Vedanta Group) पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर (Short Seller) वायसराय रिसर्च (Viceroy Research) ने दावा किया है कि समूह की सेमीकंडक्टर इकाई (Semiconductor Unit), वेदांता सेमीकंडक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (VSPL), ‘नकली जिंस कारोबार परिचालन’ (Fake Commodity Trading Operations) में शामिल थी। वायसराय का आरोप है कि इस इकाई को एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC – Non-Banking Financial Company) के रूप में वर्गीकरण से बचने के लिए बनाया गया था। हालांकि, वेदांता समूह ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें ‘निराधार’ बताया है।
वायसराय रिसर्च के नए और गंभीर आरोप
वायसराय रिसर्च, जो पहले भी वेदांता समूह के बारे में तीखी रिपोर्टें प्रकाशित कर चुकी है, ने पिछले हफ्ते अपनी नई रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) की सहायक कंपनी (Subsidiary Company) वेदांता सेमीकंडक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (VSPL) को इस साल अप्रैल में मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources – VRL) को ब्रांड शुल्क (Brand Fee) भेजने की योजना के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया गया था। यह तब हुआ जब वेदांता रिसोर्सेज गंभीर नकदी संकट (Cash Crunch) का सामना कर रही थी।
वायसराय का आरोप है कि “वीएसपीएल एक फर्जी जिंस कारोबार परिचालन है, जिसे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में वर्गीकरण से अनुचित तरीके से बचने के लिए बनाया गया था।” उनका दावा है कि यह एक सोची-समझी योजना थी ताकि वेदांता लिमिटेड अप्रैल 2025 में वेदांता रिसोर्सेज को ब्रांड शुल्क भेज सके, जब उसे पैसों की सख्त जरूरत थी।
वेदांता का सीधा जवाब: ‘आरोप निराधार और पारदर्शी हैं’
वेदांता समूह ने इन आरोपों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है। वेदांता के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “समूह वेदांता सेमीकंडक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (वीएसपीएल) के बारे में रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों को दृढ़ता से खारिज करता है।” उन्होंने जोर देकर कहा, “वीएसपीएल की सभी व्यावसायिक गतिविधियों (Business Activities) का पारदर्शी रूप से खुलासा किया गया है और वे वैधानिक मानदंडों (Statutory Norms) के अनुरूप हैं।” यह बयान वेदांता की ओर से इन आरोपों पर एक मजबूत खंडन है, जो कंपनी की व्यावसायिक प्रथाओं में पारदर्शिता का दावा करता है।
‘नियामकीय चुप्पी’ और ‘वॉश ट्रेडिंग’ का आरोप
वायसराय रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में भारत के नियामकों (Regulators) और क्रेडिट विश्लेषकों (Credit Analysts) पर भी सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, “वीएसपीएल को अपना मकसद पूरा करने के लिए 24 महीनों की नियामकीय चुप्पी की जरूरत थी… क्रेडिट विश्लेषक खतरे की घंटी के बीच सो रहे हैं, और भारत के नियामक भी हमेशा की तरह हल्की नींद में हैं।” यह आरोप भारतीय वित्तीय निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि वेदांता लिमिटेड (VEDL) को अप्रैल 2024 में गंभीर नकदी संकट का सामना करना पड़ा था। वायसराय ने आरोप लगाया, “ऐसे में वीईडीएल ने वीएसपीएल को एक सेमीकंडक्टर उद्यम के रूप में नहीं, बल्कि एक शून्य मार्जिन वाली व्यापारिक इकाई (Zero-Margin Trading Entity) के रूप में पुनः सक्रिय किया, जिसका संचालन पूरी तरह से कागज आधारित जिंस कारोबार (Paper-Based Commodity Trading) में ही प्रतीत होता है।”
वायसराय ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि “वीएसपीएल ने अल्पकालिक, भारतीय रुपया मूल्य वर्ग के 10 प्रतिशत एनसीडी (NCDs – Non-Convertible Debentures) के लिए विदेशी ऋणदाताओं (Foreign Lenders) से संपर्क किया, जो एनजेडएल (NZL) में वीईडीएल की हिस्सेदारी (बकाया शेयरों के एक प्रतिशत के बराबर) से सुरक्षित थे। इसके बाद वीएसपीएल ने शून्य मार्जिन आधार पर जिंस (तांबा, चांदी, सोना) का व्यापार शुरू किया, जो ‘वॉश ट्रेडिंग’ (Wash Trading) की याद दिलाता है।” ‘वॉश ट्रेडिंग’ एक ऐसी गतिविधि है जिसमें फर्जी तरह से कारोबार की मात्रा दिखाकर बाजार को गुमराह करने की कोशिश की जाती है। यह शेयर बाजार (Stock Market) और जिंस बाजार (Commodity Market) में एक गंभीर अपराध माना जाता है।
भविष्य की आशंकाएं और नियामक हस्तक्षेप का खतरा
अमेरिकी शॉर्ट-सेलर ने अपनी रिपोर्ट में भविष्य की आशंकाएं भी जताई हैं। उन्होंने आरोप लगाया, “वीएसपीएल को संभवतः वित्त वर्ष 2026-27 (FY2026-27) तक ये दिखावटी काम जारी रखने होंगे, जब ऋण की समयसीमा (Loan Deadline) समाप्त हो जाएगी और पुनर्भुगतान (Repayment) इसके माध्यम से ही करना होगा।” वायसराय ने चेतावनी दी है कि “अगर किसी भी समय नियामक वीएसपीएल में हस्तक्षेप करते हैं, तो ऋणदाता समूह का पूरी तरह से सफाया हो सकता है।” यह टिप्पणी वेदांता समूह के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है, खासकर अगर नियामक एजेंसियां इन आरोपों की जांच शुरू करती हैं।
वेदांता का पलटवार: ‘कानूनों का पूरी तरह पालन’
इन गंभीर आरोपों के जवाब में, वेदांता के प्रवक्ता ने अपने बयान में फिर से स्पष्ट किया है कि “वीएसपीएल और वेदांता लिमिटेड के बीच ऋण (Loans) लागू कानूनों और कॉरपोरेट गवर्नेंस मानकों (Corporate Governance Standards) का पूरी तरह पालन करते हुए निष्पादित किए गए थे।” उन्होंने आगे कहा, “वेदांता लिमिटेड और वीएसपीएल दोनों ने वैधानिक मानदंडों के अनुरूप लगातार सटीक ऋण शर्तें (Loan Terms), ब्याज दरें (Interest Rates) और गिरवी (Pledge) की सूचना दी है।” यह बयान दर्शाता है कि वेदांता समूह अपने वित्तीय लेनदेन में पूरी पारदर्शिता और कानूनी अनुपालन का दावा कर रहा है।
भारतीय बाजार और निवेशकों पर असर
इस तरह के आरोप अक्सर भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) और निवेशकों (Investors) के बीच चिंता पैदा करते हैं। वेदांता समूह एक बड़ा और महत्वपूर्ण खिलाड़ी है, और उस पर लगे ऐसे आरोप कंपनी के शेयरों पर दबाव डाल सकते हैं। हालांकि, कंपनी का मजबूत खंडन और नियामक अनुपालन का दावा निवेशकों को कुछ हद तक आश्वस्त कर सकता है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय नियामक एजेंसियां, जैसे सेबी (SEBI – Securities and Exchange Board of India) और आरबीआई (RBI – Reserve Bank of India), इन आरोपों पर क्या कार्रवाई करती हैं।