SEBI ने निवेशकों की शिकायतों का तेज समाधान, ‘स्कोर्स’ पोर्टल पर निपटाई 4,500 शिकायतें

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नई दिल्ली: भारतीय पूंजी बाजार के नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India – SEBI) ने जून महीने में निवेशकों की शिकायतों के समाधान में उल्लेखनीय सक्रियता दिखाई है। सेबी ने अपने ऑनलाइन शिकायत निवारण मंच ‘स्कोर्स’ (SCORES) के माध्यम से जून में कुल 4,415 शिकायतों का निपटारा किया है। यह निवेशकों के हितों की रक्षा और बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सेबी के प्रयासों को दर्शाता है।

 

स्कोर्स पोर्टल पर शिकायतों की स्थिति: नए मामले और लंबित संख्या

सेबी ने शुक्रवार को एक सार्वजनिक सूचना (public notice) में बताया कि उसे जून में 4,959 नई शिकायतें प्राप्त हुईं। जून के अंत तक, कुल 5,107 शिकायतें अनसुलझी (unresolved) रहीं। यह संख्या 31 मई तक लंबित 4,563 शिकायतों से थोड़ी अधिक है, जो नए मामलों की अधिकता और कुछ मामलों में समाधान में लगने वाले समय को दर्शाती है। हालांकि, सेबी का प्रयास लगातार लंबित मामलों की संख्या को कम रखना है।

 

तेज़ समाधान समय: निवेशकों के लिए अच्छी खबर

नियामक ने बताया कि जून में संस्थाओं द्वारा कार्रवाई रिपोर्ट (Action Taken Report – ATR) जमा करने में लिया गया औसत समाधान समय आठ दिन था। यह निवेशकों के लिए एक बहुत अच्छी खबर है, क्योंकि इसका मतलब है कि उनकी शिकायतों पर अपेक्षाकृत तेज़ी से कार्रवाई हो रही है। वहीं, प्रथम स्तरीय समीक्षा (first-level review) के तहत शिकायतों के लिए लिया गया औसत समय और भी कम, यानी चार दिन था। यह दर्शाता है कि स्कोर्स प्रणाली प्रभावी ढंग से काम कर रही है और शिकायतों के प्रारंभिक स्तर पर त्वरित समाधान पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

 

क्या है स्कोर्स (SCORES) और कैसे काम करती है यह प्रणाली?

स्कोर्स (SCORES – SEBI Complaints Redress System) एक ऑनलाइन मंच है जिसे निवेशकों को सुविधा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह निवेशकों को सूचीबद्ध कंपनियों (listed companies) और सेबी के साथ पंजीकृत मध्यस्थों (registered intermediaries) के खिलाफ अपनी शिकायतें दर्ज करने और उन पर नज़र रखने में सक्षम बनाता है। यह पोर्टल निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो उन्हें अपनी चिंताओं को सीधे नियामक तक पहुंचाने का एक पारदर्शी और कुशल तरीका प्रदान करता है।

स्कोर्स 2.0 प्रणाली के तहत, शिकायतें स्वचालित रूप से संबंधित संस्थाओं को भेज दी जाती हैं। इन संस्थाओं को 21 दिनों के भीतर जवाब देना होता है। यह एक निश्चित समय-सीमा (time-frame) तय करता है ताकि शिकायतें अनावश्यक रूप से लंबित न रहें।

 

शिकायत निवारण प्रक्रिया: बहु-स्तरीय समीक्षा प्रणाली

स्कोर्स प्रणाली में एक बहु-स्तरीय समीक्षा प्रक्रिया (multi-level review process) भी शामिल है, जो यह सुनिश्चित करती है कि निवेशकों को अपनी शिकायत का उचित समाधान मिले:

1. प्राथमिक प्रतिक्रिया (Primary Response): संबंधित संस्था को 21 दिनों के भीतर शिकायत का जवाब देना होता है।

2. प्रथम स्तरीय समीक्षा (First-Level Review): अगर कोई निवेशक संस्था के जवाब से संतुष्ट नहीं है, तो उसके पास प्रथम स्तरीय समीक्षा के लिए 15 दिन का समय होता है। यह समीक्षा आमतौर पर संबंधित स्टॉक एक्सचेंज (stock exchange) या डिपॉजिटरी (depository) जैसी नामित निकाय द्वारा की जाती है।

3. द्वितीय स्तरीय समीक्षा (Second-Level Review): इसी प्रकार का समीक्षा अवसर दूसरे स्तर पर नामित निकाय के साथ उपलब्ध है, प्रत्येक 15 दिन की अवधि के भीतर। यह निवेशकों को अपनी शिकायत को आगे बढ़ाने का एक और मौका देता है।

4. सेबी द्वारा समीक्षा (SEBI Review): यदि निवेशक अभी भी संतुष्ट नहीं है, तो वे अंततः सेबी के साथ शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिसके लिए भी 15 दिन की अवधि निर्धारित है। यह सुनिश्चित करता है कि नियामक सीधे उन मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है जहां निवेशक को लगता है कि उसे उचित न्याय नहीं मिला है।

यह बहु-स्तरीय प्रणाली निवेशकों को अपनी शिकायतों के लिए कई स्तरों पर अपील करने का अवसर देती है, जिससे न्याय मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

 

निवेशकों के विश्वास को मजबूत करना

सेबी का स्कोर्स पोर्टल भारतीय पूंजी बाजार में निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह निवेशकों को यह आश्वासन देता है कि उनके पास एक प्रभावी मंच है जहाँ वे अपनी समस्याओं को उठा सकते हैं और समाधान प्राप्त कर सकते हैं। एक मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली बाजार में अनुशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, जो निवेशकों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए आवश्यक है।

जैसे-जैसे भारतीय शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों (retail investors) की भागीदारी बढ़ रही है, ‘स्कोर्स’ जैसे मंचों का महत्व और भी बढ़ जाता है। सेबी की यह पहल यह सुनिश्चित करती है कि भारतीय पूंजी बाजार न केवल कुशल हो, बल्कि निवेशकों के लिए निष्पक्ष और सुलभ भी हो।

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