नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार के नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक बड़ा प्रस्ताव पेश किया है, जिससे बाजार में बड़ी कंपनियों के आने का तरीका बदल सकता है। सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक निर्गम (Minimum Public Offer Size) के आकार में ढील देने की बात कही है। इसके साथ ही, एक और अहम बदलाव प्रस्तावित किया गया है: ₹5,000 करोड़ से ज्यादा के बड़े आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) में खुदरा यानी रिटेल निवेशकों का कोटा 35 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है। यह फैसला कंपनियों और निवेशकों दोनों के लिए बहुत मायने रखता है।
क्या है SEBI का प्रस्ताव?
सेबी SEBI ने इस प्रस्ताव को एक परामर्श पत्र (consultation paper) के जरिए पेश किया है। इसके दो मुख्य बिंदु हैं:
1. रिटेल कोटा में कमी: उन सभी आईपीओ के लिए जहां जारी किया गया निर्गम ₹5,000 करोड़ से ज्यादा का होगा, वहां रिटेल निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सा 35% से घटाकर 25% कर दिया जाएगा।
2. न्यूनतम शेयरधारिता नियमों में ढील: इसके अलावा, सेबी ने न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (Minimum Public Shareholding) के नियमों को पूरा करने के लिए समयसीमा बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया है। इसका मतलब है कि कंपनियों को एकदम से अपने शेयर जारी करने का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा और वे धीरे-धीरे इन नियमों का पालन कर सकेंगी।
क्यों लाया गया यह बदलाव? सेबी का तर्क
सेबी SEBI ने यह कदम बाजार की कुछ मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए उठाया है। इन चुनौतियों को समझना जरूरी है:
– बाजार की क्षमता (Market Capacity): सेबी का मानना है कि जब कोई बहुत बड़ी कंपनी अपना आईपीओ लाती है, तो इतनी बड़ी मात्रा में शेयरों को एक साथ अवशोषित (absorb) करना पूरे बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। खासकर रिटेल निवेशकों के लिए, इतने बड़े आईपीओ में भाग लेना आसान नहीं होता है।
– ग्लोबल कंपीटिशन: सेबी भारत को विश्व के सबसे बड़े सार्वजनिक बाजारों में से एक बनाना चाहता है। यह प्रस्ताव अत्यधिक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (multinational companies) और तकनीकी कंपनियों (tech companies) को भारत में लिस्ट होने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। इससे भारतीय बाजार को मजबूती मिलेगी।
– दबाव में कमी: यह प्रस्ताव बड़ी कंपनियों पर एक ही बार में इतनी बड़ी संख्या में शेयर जारी करने के दबाव को कम करेगा और वे आसानी से अपनी पूंजी जुटा पाएंगी।
कंपनियों और रिटेल निवेशकों पर क्या असर?
SEBI के इस प्रस्ताव का असर दोनों पार्टियों पर अलग-अलग होगा।
कंपनियों के लिए फायदे:
– कम बोझ के साथ बाजार से पैसे जुटाना आसान होगा।
– न्यूनतम पब्लिक शेयरधारिता (MPS) के नियमों का पालन करने के लिए ज्यादा समय मिलेगा, जिससे धीरे-धीरे अपने शेयरों को बाजार में लाने की फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी।
– इससे ज्यादा से ज्यादा बड़ी कंपनियां भारतीय बाजार में लिस्ट होने पर विचार कर सकेंगी।
रिटेल निवेशकों पर असर:
– संभावित नुकसान: रिटेल कोटा घटने से छोटे निवेशकों के लिए आईपीओ में शेयर मिलने की संभावना कम हो जाएगी, क्योंकि उनके लिए कम हिस्सा आरक्षित होगा।
– संभावित फायदा: लेकिन इसका एक पॉजिटिव पहलू भी है। जब बड़े संस्थागत निवेशक (institutional investors) और हाई नेट वर्थ वाले व्यक्ति (high net-worth individuals) किसी आईपीओ में ज्यादा शेयर खरीदते हैं, तो इससे शेयर के मूल्य में स्थिरता आती है। इससे लॉन्ग-टर्म में रिटेल निवेशकों को भी फायदा होता है। यह बाजार को ज्यादा मजबूत बनाता है।
Latest Business News in Hindi, Stock Market Updates सबसे पहले मिलेंगे आपको सिर्फ Business Buzz Times पर. बिजनेस न्यूज़ और अन्य देश से जुड़ी खबरें से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter(X) पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।