नई दिल्ली: बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI – Securities and Exchange Board of India) ने एक बड़े फैसले में, आर्थिक समाचार चैनल ‘ज़ी बिज़नेस’ (Zee Business) पर अतिथि विशेषज्ञों की शेयर संबंधी सिफारिशों (stock recommendations) की अग्रिम जानकारी के आधार पर ट्रेडिंग (trading) करने के आरोप में चार इकाइयों पर कुल ₹4 करोड़ का जुर्माना (fine) लगाया है। इसके साथ ही, SEBI ने इन इकाइयों को दो साल के लिए शेयर बाज़ार से प्रतिबंधित (banned from stock market) भी कर दिया है। यह कदम बाज़ार में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने की SEBI की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जुर्माना और प्रतिबंध का विवरण
SEBI ने अपने अंतिम आदेश में कहा कि यह प्रतिबंध अंतरिम आदेश की तारीख 8 फरवरी, 2024 से प्रभावी माना जाएगा। नियामक ने जिन चार इकाइयों पर जुर्माना लगाया है, वे इस प्रकार हैं:
* पार्थ सारथी धर (Parth Sarathi Dhar) पर ₹50 लाख का जुर्माना।
* मनन शेयरकॉम (Manan Sharecom) पर ₹75 लाख का जुर्माना।
* कन्हैया ट्रेडिंग कंपनी (Kanhaiya Trading Company) पर ₹75 लाख का जुर्माना।
* एसएएआर कमोडिटीज (SAAR Commodities) पर ₹2 करोड़ का सबसे बड़ा जुर्माना।
यह कार्रवाई उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो अंदरूनी जानकारी (insider information) का उपयोग करके अवैध लाभ कमाने का प्रयास करते हैं।
Zee Business SEBI की जांच में क्या खुलासा हुआ?
SEBI की जांच में पाया गया कि इन चारों इकाइयों ने समाचार चैनल पर आने वाले अतिथि विशेषज्ञ (guest expert) की तरफ से शेयरों के बारे में दी जाने वाली सिफारिशों की अग्रिम जानकारी (advance information) का इस्तेमाल कर लाभ कमाया। यह एक गंभीर उल्लंघन है, क्योंकि इससे आम निवेशकों को नुकसान होता है और बाज़ार की अखंडता (market integrity) पर सवाल उठता है।
जांच में खुलासा हुआ कि शेयर संबंधी सुझाव चुनिंदा संस्थाओं (selected entities) के साथ पहले ही साझा कर दिए जाते थे, जिससे उन्हें आम निवेशकों की तुलना में अनुचित लाभ (unfair advantage) मिलता था। ये इकाइयां पहले ही उन शेयरों में सौदे कर लेती थीं, और फिर जब टीवी चैनल पर वह सुझाव प्रसारित होता था, तो शेयरों की कीमतों में वृद्धि होती थी, जिससे ये इकाइयां लाभ कमा लेती थीं। इस तरह की ट्रेडिंग को ‘पंप एंड डंप’ (pump and dump) या ‘फ्रंट-रनिंग’ (front-running) की श्रेणी में रखा जा सकता है, जहां अंदरूनी जानकारी का उपयोग करके कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जाता है।
Zee Business सबूत और अवैध लाभ की वसूली
SEBI की जांच के दौरान जुटाए गए सबूतों में व्हाट्सएप चैट (WhatsApp chats) और सौदे के रुझान (trading patterns) शामिल थे, जिनसे यह साबित हुआ कि अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया गया था। ये डिजिटल निशान जांचकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए।
SEBI ने कहा कि भोले-भाले निवेशकों को अतिथि विशेषज्ञ की सिफारिशों के आधार पर सौदे करने के लिए प्रेरित किया गया, लेकिन वे लोग इस बात से अनजान थे कि ये सिफारिशें अन्य इकाइयों के साथ पहले ही साझा की जा चुकी थीं। इस तरह से इन इकाइयों ने कुल ₹7.41 करोड़ का अवैध लाभ (illegal gains) कमाया था। SEBI ने बताया कि इस अवैध लाभ को निपटान कार्यवाही (settlement proceedings) के तहत पहले ही जब्त (confiscated) किया जा चुका है। यह दर्शाता है कि नियामक केवल जुर्माना लगाने तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि अवैध रूप से अर्जित धन को भी वापस लेता है।
Zee Business हिमांशु गुप्ता के खिलाफ कार्यवाही बंद
हालांकि, एक अतिथि विशेषज्ञ हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) के खिलाफ कार्यवाही बिना किसी जुर्माने के बंद कर दी गई है, क्योंकि उनकी कोई सीधी संलिप्तता (direct involvement) स्थापित नहीं हुई है। यह इस बात पर ज़ोर देता है कि SEBI की जांच विशिष्ट सबूतों पर आधारित थी और नियामक केवल वही कार्रवाई करता है जहां प्रत्यक्ष भागीदारी साबित होती है।
Zee Business बाज़ार में निष्पक्षता का संदेश
SEBI का यह फैसला भारतीय पूंजी बाज़ार में निष्पक्षता और निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उन सभी लोगों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है जो मीडिया प्लेटफार्मों का दुरुपयोग करके अनुचित लाभ कमाने की कोशिश करते हैं। यह घटना बताती है कि नियामक प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग के साथ बाज़ार की निगरानी के लिए भी अपने तरीके विकसित कर रहा है, ताकि धोखाधड़ी वाली गतिविधियों का पता लगाया जा सके और उन पर कार्रवाई की जा सके। यह भारतीय शेयर बाज़ार में छोटे निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए आवश्यक है।