नई दिल्ली: Khalia Reserved Forest Issue : उत्तराखंड में वन और पर्यावरण (environment) से जुड़ा एक मामला अब केंद्रीय सरकार के रडार (radar) पर आ गया है । केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Union Ministry of Environment, Forest and Climate Change) ने खलिया आरक्षित वन में बिना इजाजत बनाए गए पक्के ढांचों (permanent structures) पर कड़ा एक्शन लेते हुए उत्तराखंड सरकार से जांच रिपोर्ट और इस पर की गई कार्यवाही का पूरा ब्योरा मांगा है ।
मंत्रालय के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में सहायक महानिरीक्षक (वन) नीलिमा शाह ने इस संबंध में उत्तराखंड के प्रमुख वन सचिव (Principal Forest Secretary) को एक पत्र लिखा है । यह पूरा मामला नियमों के उल्लंघन (violation) और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है ।
क्या है पूरा मामला? क्यों बना विवाद?
यह विवाद पिथौरागढ़ वन प्रभाग के मुनस्यारी रेंज स्थित खलिया आरक्षित वन कक्ष संख्या तीन का है । केंद्रीय मंत्रालय के पत्र में कहा गया है कि यहां वन विभाग द्वारा बिना किसी केंद्रीय अनुमति (permission) के पक्की संरचनाएं बनाई गई हैं । यह सीधा-सीधा वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 की धारा दो का उल्लंघन (violation) है ।
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में इस जगह पर चार पक्के ढांचों का निर्माण कराया गया था, जिनमें शामिल हैं:
– एक डोरमैट्री (dormitory) ।
– एक वन कुटीर उत्पाद विक्रय केंद्र (van kutir product sales centre) ।
– 10 वीआईपी ईको हट (VIP eco-huts) ।
– एक ‘ग्रोथ सेंटर’ (growth centre) ।
केंद्र ने क्यों लिया संज्ञान? मंत्रालय का जांच का आदेश
केंद्रीय मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है क्योंकि यह वन अधिनियम के सीधे उल्लंघन का मामला है । नीलिमा शाह ने अपने पत्र में उत्तराखंड सरकार से दो बातें मांगी हैं:
1. विस्तृत जांच रिपोर्ट: वन कानून के उल्लंघन की पूरी जांच रिपोर्ट ।
2. अधिकारियों का विवरण: उन सभी अधिकारियों के नाम और पद की जानकारी जिन्होंने यह उल्लंघन किया है ।
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि यह जानकारी उन्हें वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की धारा 3A और 3B के तहत कार्यवाही करने के लिए चाहिए । इन धाराओं में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही (judicial proceedings) का प्रावधान है । साथ ही, केंद्र सरकार ने उत्तराखंड से यह भी पूछा है कि उन्होंने खुद भी इन अधिकारियों के खिलाफ क्या एक्शन लिया है ।
अधिकारी पर लगे वित्तीय अनियमितता के आरोप
इसी प्रकरण में उत्तराखंड सरकार पहले ही एक अधिकारी पर एक्शन ले चुकी है । 18 जुलाई को, तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी (Divisional Forest Officer) और वर्तमान में वन संरक्षक (Forest Conservator) विनय भार्गव को ‘कारण बताओ’ नोटिस (show-cause notice) जारी किया गया था ।
भार्गव पर आरोप है कि उन्होंने बिना किसी पूर्व अनुमति के ₹1 करोड़ 34 लाख 46 हजार के खर्च से इन ढांचों का निर्माण कराया । नोटिस में उन पर कई वित्तीय अनियमितताओं (financial irregularities) के आरोप लगाए गए हैं:
– निर्माण सामग्री की खरीद बिना किसी निविदा (tender) प्रक्रिया के करना ।
– किसी निजी संस्था को बिना सक्षम अधिकारी की मंजूरी के सामग्री आपूर्ति का ठेका देना ।
– सामग्री आपूर्ति के लिए उसे एकमुश्त भुगतान (lump-sum payment) करना ।
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