नई दिल्ली: हाल ही में मीडिया के कुछ हलकों में यह खबरें चल रही थीं कि 2024 में स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों द्वारा रखे गए धन में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, भारत सरकार ने मंगलवार को इस पर स्पष्टीकरण दिया है। सरकार ने बताया कि स्विट्जरलैंड के अधिकारियों (Swiss authorities) ने यह साफ कर दिया है कि स्विस नेशनल बैंक (Swiss National Bank – SNB) के आंकड़ों का इस्तेमाल भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड में जमा की गई राशि के विश्लेषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।
SNB के आंकड़े क्यों नहीं देते सही तस्वीर?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि SNB के आंकड़ों में केवल ‘ग्राहक जमा’ (customer deposits) ही नहीं, बल्कि कई अन्य श्रेणियों की जानकारी भी शामिल होती है। इनमें अन्य देनदारियां (other liabilities) और बैंकों को देय राशि (amounts due to banks) शामिल हैं। इसके अलावा, इन आंकड़ों में स्विस बैंकों की विदेशी शाखाओं (foreign branches of Swiss banks) से जुड़ी राशि भी शामिल होती है, जिसका सीधा संबंध भारत में रहने वाले भारतीयों के पैसे से नहीं होता।
उनके अनुसार, स्विस अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि SNB की वार्षिक बैंकिंग सांख्यिकी (annual banking statistics) का भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड में रखी गई जमाओं के आकलन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह स्पष्टीकरण महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर SNB के आंकड़ों को आधार बनाकर मीडिया में भारतीयों के स्विस बैंक खातों में पैसे बढ़ने या घटने की खबरें आती रहती हैं, जो पूरी तरह से सही तस्वीर पेश नहीं करतीं।
ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इंफॉर्मेशन (AEOI) फ्रेमवर्क
मंत्री ने एक और महत्वपूर्ण बात बताई कि स्विट्जरलैंड सरकार 2018 से भारतीयों से जुड़ी वित्तीय जानकारी प्रत्येक वर्ष भारत के साथ साझा कर रही है। यह प्रक्रिया ‘ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इंफॉर्मेशन’ (Automatic Exchange of Information – AEOI) फ्रेमवर्क (framework) के तहत की जाती है। AEOI एक अंतरराष्ट्रीय मानक है जो वित्तीय खातों की जानकारी के स्वचालित आदान-प्रदान के लिए देशों को सक्षम बनाता है। इसका उद्देश्य कर चोरी और काले धन पर अंकुश लगाना है।
पंकज चौधरी ने कहा कि इस ढांचे के अंतर्गत भारत को पहली बार सितंबर 2019 में वित्तीय जानकारी प्राप्त हुई थी और तब से यह आदान-प्रदान नियमित रूप से जारी (regularly continuing) है। इसका मतलब है कि भारत को अब स्विस बैंकों में भारतीयों के खातों से संबंधित विस्तृत जानकारी मिल रही है, जिसमें जमा राशि, निवेश और अन्य वित्तीय लेनदेन शामिल हैं। यह जानकारी भारत सरकार को कर चोरी के मामलों की जांच करने और काले धन पर शिकंजा कसने में मदद करती है।
काले धन पर नकेल कसने के लिए भारत के प्रयास
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार लगातार काले धन पर नकेल कसने के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रही है। AEOI फ्रेमवर्क के तहत जानकारी का आदान-प्रदान इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पहले स्विस बैंकों को गोपनीयता (secrecy) के लिए जाना जाता था, लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय संधियों और दबाव के कारण यह स्थिति बदल गई है।
सरकार का यह बयान उन धारणाओं को दूर करने में मदद करता है कि भारतीयों का काला धन अभी भी स्विस बैंकों में बेरोकटोक पड़ा है। AEOI के तहत मिलने वाली जानकारी के आधार पर भारत सरकार ने कई मामलों में कार्रवाई की है और कर चोरी करने वालों पर जुर्माना भी लगाया है। यह दर्शाता है कि पारदर्शिता (transparency) की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
सटीक आंकड़ों की पहचान ज़रूरी
निष्कर्ष के तौर पर, यह साफ है कि स्विस बैंकों में भारतीयों के धन को लेकर SNB के आंकड़े गुमराह करने वाले हो सकते हैं। असली तस्वीर AEOI फ्रेमवर्क के तहत भारत को सीधे स्विट्जरलैंड सरकार से मिल रही वित्तीय जानकारी से ही स्पष्ट होती है। यह प्रक्रिया भारत सरकार को वित्तीय अपराधों पर लगाम लगाने और कर अनुपालन (tax compliance) सुनिश्चित करने में मदद कर रही है।