पनवेल: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) के तेवर मराठी को लेकर फिर कड़े हो गए हैं। महाराष्ट्र में भाषा और भूमिपुत्र के मुद्दे पर एक बार फिर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि फडणवीस यह सोचते हैं कि स्कूली बच्चों को हिंदी कैसे सिखाई जा सकती है, लेकिन इस बारे में नहीं सोचते कि महाराष्ट्र में काम करने के लिए बाहर से आने वाले लोग मराठी (Marathi) कैसे सीख सकते हैं।
भाषा और भूमिपुत्र का मुद्दा: MNS का पुराना स्टैंड
राज ठाकरे ने ‘पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी’ (PWP) के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए यह तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस बारे में सोचते हैं कि स्कूली बच्चे हिंदी कैसे सीख सकते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री यह नहीं सोचते कि महाराष्ट्र में काम के लिए आने वाले लोग मराठी कैसे सीख सकते हैं।” यह बयान राज ठाकरे के पुराने ‘भूमिपुत्र’ (son of the soil) और ‘मराठी मानुष’ (Marathi man) के स्टैंड के अनुरूप है, जो उनकी राजनीति का एक अहम हिस्सा रहा है।
ठाकरे ने कहा कि भूमिपुत्र और मराठी मानुष के लिए कोई विचार नहीं है, और इसका भयावह उदाहरण रायगड ज़िला (Raigad district) है। उन्होंने किसानों से ज़मीन लिए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि राज्य में उद्योग मराठी मानुष की कब्र पर नहीं बनाए जा सकते। ठाकरे ने फडणवीस सरकार को चुनौती देते हुए कहा, “यदि आप उद्योग लाना चाहते हैं तो आपको मराठी मानुष का सम्मान करते हुए ऐसा करना होगा। इसके बिना आप ऐसा नहीं कर सकते।”
महा विकास आघाडी के मंच पर राज ठाकरे
राज ठाकरे का यह कार्यक्रम राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि यहाँ महा विकास आघाडी (Maha Vikas Aghadi) के कई बड़े नेता मौजूद थे। राज ठाकरे के संबोधन के दौरान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत (Sanjay Raut) भी मंच पर मौजूद थे, और उन्होंने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इसके अलावा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता भी इस मंच पर मौजूद थे। यह घटनाक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल ही में राज और उद्धव ठाकरे ने लगभग दो दशकों के बाद एक साथ मंच साझा किया था।
हिंदी ‘थोपने’ और संकीर्णता का आरोप
राज ठाकरे ने यह भी पूछा कि अगर कोई अपने राज्य के बारे में बात करता है, तो उसे ‘संकीर्ण’ (narrow-minded) कैसे कहा जा सकता है। उनकी यह टिप्पणी हाल ही में दो विवादास्पद सरकारी आदेशों को वापस लेने के बाद आई है, जिसमें पहली से पाँचवीं कक्षा तक के छात्रों पर हिंदी ‘थोपने’ (imposing) का मुद्दा शामिल था।
राज और उद्धव ठाकरे ने पिछले महीने एक साथ आकर इन सरकारी आदेशों को वापस लेने का जश्न मनाया था। यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है, जहाँ एक बार फिर मराठा अस्मिता और भाषा का मुद्दा केंद्र में आ गया है।
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