नई दिल्ली: NCLAT ने रियल एस्टेट (real estate) की कंपनी Supertech Realtors को एक और बड़ा झटका दिया है। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने सुपरनोवा परियोजना (Supernova project) बनाने वाली कंपनी सुपरटेक रियल्टर्स के ख़िलाफ़ दिवाला कार्यवाही का रास्ता साफ कर दिया है। यह फ़ैसला सुपरटेक रियल्टर्स और इसकी बहुप्रतीक्षित सुपरनोवा परियोजना के लिए एक बड़ा झटका है।
एनसीएलएटी ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की दिल्ली पीठ द्वारा 12 जून, 2024 को पारित पिछले आदेश को बरकरार रखा है। इस आदेश के तहत बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा दायर एक याचिका पर कंपनी के ख़िलाफ़ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) शुरू करने का निर्देश दिया गया था।
NCLT के पुराने आदेश को NCLAT ने रखा बरकरार
एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि Supertech Realtors के प्रवर्तक राम किशोर अरोड़ा द्वारा समाधान के लिए प्रस्तुत संशोधित प्रस्ताव को बैंकों के गठजोड़ (consortium of banks) ने स्वीकार नहीं किया है।
– आईबीसी के तहत कार्रवाई: एनसीएलएटी ने कहा, “हमारा मानना है कि वर्तमान मामला ऐसा है जिसमें कॉरपोरेट देनदार (सुपरटेक रियल्टर्स) का समाधान, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) तथा कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया 2016 के अनुसार कानून के तहत किया जाना चाहिए।”
– अपील खारिज: अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखते हुए अपील (appeal) को ख़ारिज कर दिया। इसके साथ ही, एनसीएलटी द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर को ऋणदाताओं की समिति (CoC) का गठन करने और सीआईआरपी के साथ आगे बढ़ने की भी अनुमति दे दी गई है।
Supernova project पर पड़ेगा असर
यह फ़ैसला सुपरटेक रियल्टर्स के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी करेगा, जिसका सीधा असर उसकी प्रमुख सुपरनोवा परियोजना पर पड़ेगा।
– परियोजना का विवरण: यह परियोजना नोएडा के सेक्टर-94 में 70,002 वर्ग मीटर भूमि पर विकसित की जा रही है, जिसकी कुल लागत 2,326.14 करोड़ रुपये है। इस परियोजना में आवासीय अपार्टमेंट, कार्यालय, खुदरा स्थान और एक लक्जरी होटल शामिल हैं।
– समूह पर पहले भी कार्रवाई: यह ध्यान देने योग्य है कि Supertech Realtors रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक की एक अनुषंगी कंपनी (subsidiary company) है। सुपरटेक समूह की कुछ अन्य कंपनियाँ भी पहले से ही दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही हैं।
एनसीएलएटी का यह फ़ैसला रियल एस्टेट सेक्टर में डिफॉल्टर (defaulter) कंपनियों के ख़िलाफ़ आईबीसी के तहत सख्त कार्रवाई का एक और उदाहरण है। यह दिखाता है कि रेगुलेटरी बॉडीज़ (regulatory bodies) निवेशकों और क्रेडिटर (creditor) के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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