GST का फायदा ग्राहकों को नहीं दिया तो अब खैर नहीं! GSTAT ने सुनाया पहला फैसला, Subway Franchisee पर लगा जुर्माना

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नई दिल्ली: सरकार ने जब भी किसी उत्पाद या सेवा पर जीएसटी (GST) की दरें कम की हैं, तो इसका मकसद सीधे तौर पर इसका फायदा आम आदमी तक पहुंचाना रहा है। लेकिन अगर कोई कंपनी यह फायदा ग्राहकों को न दे, तो उस पर क्या कार्रवाई होती है? इसका जवाब अब एक ऐतिहासिक फैसले से मिल गया है।

नवगठित जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) ने अपने पहले ही एंटी-प्रॉफिटियरिंग (anti-profiteering) आदेश में Subway की एक फ्रेंचाइजी (franchise) अर्बन एसेंस को दोषी ठहराया है। कंपनी पर जीएसटी दर में कटौती का ₹5.47 लाख का लाभ ग्राहकों को न देने का आरोप लगा था।

क्या था पूरा मामला और कौन है Urban Essence?

यह मामला पुणे शहर की एक ग्राहक की शिकायत से जुड़ा है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सरकार ने 15 नवंबर, 2017 से रेस्तरां (restaurant) सेवाओं पर जीएसटी GST की दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था, लेकिन अर्बन एसेंस ने अपनी खाद्य वस्तुओं की कीमतों (prices) में इसका फायदा शामिल नहीं किया। इसके बजाय, कंपनी ने कीमत को पहले जैसा ही रखा और गलत तरीके से मुनाफा (profit) कमाया।

इसकी जांच सरकार की एंटी-प्रॉफिटियरिंग महानिदेशालय (DGAP) ने की। डीजीएपी ने 15 नवंबर, 2017 से 31 अक्टूबर, 2019 तक की अवधि की जांच की और पाया कि कंपनी ने ग्राहकों से अतिरिक्त ₹5,47,005 वसूल किए।

GSTAT का ऐतिहासिक फैसला: जुर्माना और ब्याज का आदेश

इस मामले में डीजीएपी की रिपोर्ट (report) को जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण ने बरकरार रखा। जीएसटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (retd) संजय कुमार मिश्रा ने 5 अगस्त को यह आदेश पारित किया।

– जुर्माना और ब्याज: न्यायाधिकरण ने पुणे स्थित अर्बन एसेंस को ₹5,45,005 की राशि जमा करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही कंपनी को इस राशि पर 18 प्रतिशत का ब्याज भी चुकाना होगा। यह ब्याज 15 नवंबर, 2017 से लागू होगा।
– उपभोक्ता कल्याण कोष: आदेश में यह भी कहा गया है कि यह पैसा तीन महीने के भीतर महाराष्ट्र के उपभोक्ता कल्याण कोष (Consumer Welfare Fund) में जमा किया जाए। यह पैसे सीधे तौर पर ग्राहकों को नहीं दिए जाएंगे, बल्कि इसका इस्तेमाल उपभोक्ताओं की भलाई के लिए किया जाएगा।

यह फैसला एक कड़ी चेतावनी है कि जीएसटी कानूनों GST Laws का पालन हर हाल में करना होगा।

क्या है एंटी-प्रॉफिटियरिंग कानून और इसका उद्देश्य?

एंटी-प्रॉफिटियरिंग कानून जीएसटी व्यवस्था GST System का एक बहुत ही अहम हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जीएसटी दरों में कमी या इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ कंपनियां अपने पास न रखें, बल्कि उसे ग्राहकों तक पहुंचाएं।

पहले ऐसे मामलों का निर्णय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (NAA) करता था। इसके बाद, 1 दिसंबर, 2022 से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। अब, 1 अक्टूबर, 2024 से जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) की प्रधान पीठ को इन मामलों की जांच करने का अधिकार दिया गया है। इससे कानूनी प्रक्रिया तेज और ज्यादा प्रभावी (effective) बनेगी।

यह फैसला सभी कंपनियों के लिए एक नजीर (precedent) है कि मुनाफाखोरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह आम लोगों में भी भरोसा बढ़ाएगा कि उनके हितों (interests) की रक्षा के लिए कानून पूरी तरह से काम कर रहा है।

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