नई दिल्ली: सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA – Solvent Extractors’ Association) ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA – Central Consumer Protection Authority) और खाद्य सुरक्षा नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI – Food Safety and Standards Authority of India) से सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे रिफाइंड खाद्य तेलों (refined edible oils) पर भ्रामक सामग्री (misleading content) के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है। SEA का कहना है कि ऐसी गलत जानकारी न केवल उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा कर रही है, बल्कि देश के खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र की विश्वसनीयता को भी खतरे में डाल रही है।
Refined Edible Oils वायरल वीडियो
CCPA और FSSAI को लिखे एक पत्र में, SEA ने बताया कि एक इंस्टाग्राम खाते द्वारा पोस्ट किया गया एक वायरल वीडियो (viral video) रिफाइंड खाद्य तेलों के बारे में “खतरनाक और तथ्यात्मक रूप से गलत दावे (dangerous and factually incorrect claims)” कर रहा है। यह वीडियो रिफाइंड तेलों को “रसायन युक्त (chemically loaded)” और “विषाक्त (toxic)” बता रहा है।
SEA ने अपने बयान में कहा, “इस वीडियो ने व्यापक रूप से ध्यान आकर्षित किया है, जिससे उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा हो रहा है और रिफाइंड खाद्य तेलों की सुरक्षा पर निराधार संदेह पैदा हो रहा है, जो भारत में खाद्य तेल की खपत का एक बड़ा हिस्सा हैं।” एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि इस तरह की गलत सूचना न केवल उपभोक्ताओं के विश्वास को बल्कि किसानों की आजीविका (livelihood of farmers) और भारत के खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र (food safety ecosystem) की विश्वसनीयता को भी खतरे में डालती है। इसने जनता को सटीक, विज्ञान-समर्थित जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
Refined Edible Oils उद्योग निकाय का स्पष्टीकरण
वायरल वीडियो का खंडन करने के लिए, उद्योग निकाय SEA ने साक्ष्य-आधारित तथ्यों (evidence-based facts) के साथ खाद्य तेल शोधन (edible oil refining) की वैज्ञानिक और नियामकीय वास्तविकताओं (scientific and regulatory realities) को स्पष्ट करने के लिए एक व्यापक व्याख्यात्मक नोट (explanatory note) जारी किया है।
SEA ने बताया कि भारत में खाद्य तेल की लगभग 85 प्रतिशत खपत ताड़, सोयाबीन, सूरजमुखी, चावल भूसी और बिनौला जैसे परिष्कृत तेलों (refined oils) से होती है। इन तेलों का प्रसंस्करण भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के सख्त मानदंडों (strict norms) के तहत किया जाता है और ये विश्व स्तर पर स्वीकृत कोडेक्स एलिमेंटेरियस मानकों (Codex Alimentarius standards) को पूरा करते हैं। कोडेक्स एलिमेंटेरियस संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्थापित खाद्य मानकों का एक संग्रह है, जो खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
Refined Edible Oils शोधन प्रक्रिया की आवश्यकता
एसोसिएशन ने खाद्य-ग्रेड हेक्सेन (food-grade hexane) के उपयोग का बचाव करते हुए कहा कि यह सुरक्षित और विनियमित है। हेक्सेन एक खाद्य-ग्रेड विलायक (food-grade solvent) है जिसका उपयोग आमतौर पर तेल निष्कर्षण (oil extraction) में किया जाता है, खासकर सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तेलों में। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रसंस्करण के दौरान इसे हटा दिया जाता है, जिससे अंतिम उत्पाद FSSAI द्वारा निर्धारित पांच पीपीएम (parts per million – ppm) की सीमा को पूरा करते हैं, जो विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त सुरक्षित सीमाओं के भीतर है।
SEA ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि शोधन (refining) एक वैज्ञानिक रूप से आवश्यक और स्वीकृत प्रक्रिया है, जो प्राकृतिक अशुद्धियों (natural impurities) को दूर करने और खाद्य तेलों की सुरक्षा (safety), स्थिरता (stability) और ‘शेल्फ लाइफ’ (shelf life) सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। इसने कहा कि दुर्गन्ध दूर करने (deodorization) जैसी प्रक्रियाओं के लिए FSSAI के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है। शोधन प्रक्रिया तेलों से अवांछित तत्वों को हटाती है जो स्वाद, गंध या स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
Refined Edible Oils गलत संदेशों का कृषि पर जोखिम
एसोसिएशन ने चिंता व्यक्त की कि “वायरल वीडियो में दिखाए गए भ्रामक संदेश कृषि-अर्थव्यवस्था (agro-economy) के लिए व्यापक जोखिम पैदा करते हैं, संभावित रूप से उपभोक्ताओं को हतोत्साहित करते हैं, तिलहन की खेती को प्रभावित करते हैं, और अत्यधिक विनियमित उद्योग में भरोसे को नुकसान पहुँचाते हैं।” इस तरह की गलत सूचनाओं से किसानों को भी नुकसान हो सकता है जो तिलहन उगाते हैं, क्योंकि इससे उनके उत्पादों की मांग घट सकती है।