नई दिल्ली: भारत में हेल्दी स्नैकिंग (healthy snacking) का ट्रेंड (trend) तेजी से बदल रहा है और इस बदलाव का सबसे बड़ा सितारा बनकर उभरा है हमारा अपना देसी मखाना! फार्मले (Farmley) ने हाल ही में अपनी हेल्दी स्नैकिंग रिपोर्ट 2025 जारी की है, और इस रिपोर्ट का सीधा इशारा है कि मखाना (Makhana) अब भारतीय लोगों का सबसे पसंदीदा सुपरफूड (superfood) बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, 65% लोगों ने मखाने को अपना पहला पसंदीदा हेल्दी स्नैक बताया है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता का स्पष्ट संकेत है। यह रिपोर्ट इंडियन हेल्दी स्नैकिंग समिट 2025 (Indian Healthy Snacking Summit 2025) में लॉन्च की गई, जिसमें अलग-अलग उम्र, शहरों और पेशों से जुड़े लोगों से जानकारी जुटाकर भारत की बदलती स्नैकिंग आदतों को गहराई से समझाया गया है।
उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताएं: स्वाद के साथ सेहत और जिम्मेदारी
आज के उपभोक्ता सिर्फ स्वाद या आदत से ही खाना नहीं खा रहे हैं, बल्कि उनकी पसंद में सेहत और जिम्मेदारी भी शामिल हो गई है। रिपोर्ट ने इस बदलाव को कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं में सामने रखा है:
* प्रेज़र्वेटिव-फ्री स्नैक्स की मांग: 55% से ज़्यादा लोगों ने कहा कि वे अब प्रिज़र्वेटिव-फ्री (preservative-free) यानी बिना केमिकल (chemical) वाले स्नैक्स ही चुनते हैं। यह बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता का सीधा परिणाम है। लोग अब अपने शरीर में क्या जा रहा है, इस पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं।
* पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग: 52% लोगों के लिए पैकेजिंग भी बहुत मायने रखती है। वे रीसाइकल करने योग्य (recyclable) और पर्यावरण के अनुकूल (eco-friendly) पैकिंग को पसंद करते हैं। यह उपभोक्ताओं में बढ़ती पर्यावरणीय चेतना (environmental consciousness) को दर्शाता है।
* नमकीन स्नैक्स में बदलाव: अगर बात नमकीन स्नैक्स (savoury snacks) की करें, तो रोस्टेड (roasted) और फ्लेवर वाले ड्राई फ्रूट्स (flavoured dry fruits) सबसे आगे हैं। 36% लोगों ने इन्हें सबसे पसंदीदा बताया, जबकि 19% ने खासतौर पर मखाने को चुना। मखाने का यह बढ़ता क्रेज सरकार की उस योजना से भी जुड़ा है जिसमें 2025-26 के बजट में बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित करने की घोषणा की गई है। यह बोर्ड मखाना किसानों और उद्योग को बढ़ावा देगा, जिससे इसकी उपलब्धता और लोकप्रियता और बढ़ेगी।
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पुराने पसंदीदा स्नैक्स बनाम नए विकल्प
हालांकि नए स्नैक्स की डिमांड (demand) बढ़ रही है, पर पुराने फेवरेट्स (favorites) अब भी बाजार में टिके हुए हैं:
* चिप्स और वेफर्स: 14% लोग अब भी चिप्स और वेफर्स (chips and wafers) को पसंद करते हैं, जो दिखाता है कि इनकी एक निश्चित उपभोक्ता संख्या अभी भी बनी हुई है।
* नमकीन और मल्टीग्रेन स्नैक्स: वहीं 10% नमकीन (namkeen) और 9% मल्टीग्रेन स्नैक्स (multigrain snacks) जैसे खाखरा को चुनते हैं। यह उन लोगों की पसंद है जो पारंपरिक भारतीय स्वाद और कुछ हद तक सेहत को भी प्राथमिकता देते हैं।
* मीठे स्नैक्स में भी बदलाव: मीठे स्नैक्स (sweet snacks) में भी बदलाव दिख रहा है। चॉकलेट (chocolate) अब भी सबसे पॉपुलर (popular) है, लेकिन पीनट बटर (peanut butter), हेज़लनट (hazelnut) और पिस्ता (pistachio) जैसे हेल्दी और नट-बेस्ड फ्लेवर (nut-based flavours) अब ज़्यादा पसंद किए जा रहे हैं। यह भी स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता का संकेत है।
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आधुनिक जीवनशैली और ‘ऑन-द-गो’ स्नैकिंग
आज की तेज़-रफ्तार जिंदगी में करीब 45% उपभोक्ता ऐसे स्नैक चाहते हैं जो आसानी से खाए जा सकें (easy-to-eat), जैसे ड्राई फ्रूट बेस्ड डेज़र्ट (dry fruit-based desserts) या एनर्जी बार (energy bars)। खासकर शहरों में कामकाजी लोग ऐसे विकल्प चुन रहे हैं जो हेल्दी भी हों और ‘झंझट से दूर’ (hassle-free) भी। लोग अक्सर ट्रैवल (travel) करते समय या काम के बीच में फटाफट कुछ हेल्दी खाना चाहते हैं, और यहीं पर ऐसे स्नैक्स काम आते हैं।
फार्मले के को-फाउंडर आकाश शर्मा (Akash Sharma) ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इस साल की रिपोर्ट में साफ दिखता है कि लोग अब आदत से नहीं, मकसद से स्नैक करते हैं। वे अब स्वाद और सेहत दोनों चाहते हैं। फार्मले ऐसे स्नैक बनाता है जो टेस्टी भी हों और जिनसे कोई गिल्ट न हो।” यह टिप्पणी आज के उपभोक्ताओं की सोच को बखूबी दर्शाती है।
खरीदारी: ऑनलाइन और लोकल ब्रांड्स का उदय
* डिजिटल खरीददारी में उछाल: लोग अब भी दुकानों से खरीदते हैं, लेकिन क्विक कॉमर्स (quick commerce) और सोशल मीडिया (social media) पर मिलने वाली सलाह से लोग नए प्रोडक्ट्स (products) आज़मा रहे हैं।
* जेन ज़ी और मिलेनियल्स की भूमिका: जेन ज़ी (Gen Z) और मिलेनियल्स (Millennials) बड़े उम्र के लोगों के मुकाबले हर हफ्ते दोगुने स्नैक्स ऑनलाइन मंगवाते हैं (43% बनाम 28%)। यह युवा पीढ़ी की डिजिटल साक्षरता (digital literacy) और सुविधा-केंद्रित जीवनशैली (convenience-centric lifestyle) को दर्शाता है।
* छोटे शहरों में लोकल ब्रांड्स का भरोसा: वहीं छोटे शहरों में लोकल ब्रांड्स (local brands) का भरोसा बढ़ा है। ये ब्रांड्स भले ही बड़े विज्ञापन न करें, लेकिन अच्छी क्वालिटी (quality) और लोकल जुड़ाव (local connect) से लोगों का भरोसा जीत रहे हैं। यह ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) की भावना को भी दर्शाता है।
कुल मिलाकर, भारत में स्नैकिंग अब और ज्यादा समझदारी से हो रही है। लोग अब भी स्वाद चाहते हैं, लेकिन सेहत और ज़िम्मेदारी से जुड़ी चीज़ों को भी उतनी ही अहमियत दे रहे हैं। इस पूरे बदलाव में, मखाना वास्तव में सबसे बड़ा सितारा बनकर उभरा है, जो भारतीयों के बदलते स्वाद और स्वास्थ्य प्राथमिकताओं का एक प्रतीक बन गया है।
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क्या आप मखाना के स्वास्थ्य लाभों और इसे अपनी डाइट में शामिल करने के तरीकों के बारे में जानना चाहेंगे?