मुंबई: भारत के वित्तीय क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआई) (Artificial Intelligence – AI) का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। इसी के मद्देनजर, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक समिति ने इस तकनीक से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय सुझाए हैं। समिति का मानना है कि अगर एआई का इस्तेमाल बिना किसी सुरक्षा उपाय के किया जाए, तो यह मौजूदा जोखिमों को बढ़ा सकता है और नए तरह के नुकसान भी पेश कर सकता है।
आरबीआई ने पिछले साल `दिसंबर` में इस समिति का गठन `वित्तीय क्षेत्र` में एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए एक रूपरेखा (`framework`) तैयार करने के लिए किया था। इस रिपोर्ट का उद्देश्य एआई की पूरी क्षमता का लाभ उठाते हुए, इससे संबंधित जोखिमों को दूर करना है।
Artificial Intelligence के लिए सात आधारभूत सिद्धांत
समिति ने Artificial Intelligence को अपनाने के लिए सात आधारभूत सिद्धांतों (fundamental principles) को विकसित किया है। ये सिद्धांत एक ऐसी नीति का आधार बनेंगे, जो एआई के सुरक्षित और भरोसेमंद इस्तेमाल को सुनिश्चित करेगी:
1. विश्वास ही आधार है: एआई पर आधारित सिस्टम्स को इस तरह से बनाया जाना चाहिए, जिन पर लोग भरोसा कर सकें।
2. सबसे पहले लोग: एआई के इस्तेमाल में हमेशा ग्राहकों और लोगों के हितों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
3. नवोन्मेष को तरजीह: एआई के माध्यम से नए और बेहतर उत्पादों को बनाने के लिए नवाचार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
4. निष्पक्षता और समानता: एआई के निर्णय पूर्वाग्रहों से मुक्त और सभी के लिए समान होने चाहिए।
5. जवाबदेही: एआई के इस्तेमाल में किसी भी तरह के नुकसान के लिए ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए।
6. डिजाइन द्वारा समझने योग्य: एआई के काम करने का तरीका और उसके निर्णय तर्कसंगत और समझने योग्य होने चाहिए।
7. सुरक्षा, लचीलापन और स्थिरता: एआई सिस्टम्स को सुरक्षा (`security`) और स्थिरता (`stability`) के उच्च मानकों को पूरा करना चाहिए।
जोखिम कम करने के लिए 26 सिफारिशें
रिपोर्ट में एक दूरदर्शी दृष्टिकोण की सिफारिश की गई है, जिसमें छह रणनीतिक स्तंभों के तहत `26 कार्रवाई योग्य सिफारिशें` (actionable recommendations) शामिल हैं।
– Artificial Intelligence की क्षमता: समिति ने कहा कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए, एआई `विकासात्मक चुनौतियों` से निपटने के नए तरीक़े प्रस्तुत करता है। `मल्टी-मॉडल` और `बहुभाषी एआई` उन लाखों लोगों तक वित्तीय सेवाएँ पहुँचा सकता है, जो अब तक उनसे वंचित हैं। एआई `ग्राहक जुड़ाव`, `जोखिम निगरानी`, और `धोखाधड़ी का पता लगाने` में भी मदद कर सकता है।
– जोखिम और चुनौतियाँ: हालांकि, समिति ने चेतावनी दी है कि बिना उचित सुरक्षा उपायों के एआई का इस्तेमाल `पूर्वाग्रह` और `व्याख्या की कमी` जैसे नए जोखिम पैदा कर सकता है। साथ ही, `आंकड़ों की सुरक्षा` (`data security`) और `साइबर सुरक्षा` जैसी मौजूदा चुनौतियाँ भी बढ़ सकती हैं।
बैंकों और NBFI के लिए अहम निर्देश
समिति ने एआई के जोखिमों को कम करने के लिए कुछ ख़ास सुझाव दिए हैं, जिन्हें बैंकों और `गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों` (NBFI) को लागू करना होगा।
– Artificial Intelligence नीति: सबसे अहम सिफ़ारिश यह है कि सभी बैंकों और एनबीएफआई को अपने `निदेशक मंडल` (`board of directors`) से मंजूरी लेकर एक समर्पित एआई नीति तैयार करनी होगी।
– जागरूकता और सुरक्षा: अन्य सुझावों में एआई से जुड़े कार्यों को लेकर उपभोक्ताओं को जागरूक करना, `साइबर सुरक्षा गतिविधियों` और `घटना की सूचना देने` की व्यवस्था का विस्तार करना और एक मज़बूत `संचालन व्यवस्था` (`governance system`) तैयार करना शामिल है।
आरबीआई की इस समिति की रिपोर्ट Artificial Intelligence के भविष्य को लेकर एक संतुलन बनाने की कोशिश करती है। यह भारत के वित्तीय क्षेत्र को `टेक्नोलॉजी` के साथ-साथ `नैतिकता` और `सुरक्षा` के साथ आगे बढ़ने का एक स्पष्ट रास्ता दिखाता है।
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