नई दिल्ली: भारत सरकार देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। सोमवार को एक अधिकारी ने बताया कि देश के निर्यात को गति देने के उद्देश्य से 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (States and Union Territories) ने अपनी खुद की निर्यात रणनीति (Export Strategy) तैयार कर ली है। यह कदम भारत को वैश्विक व्यापार में एक मजबूत खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
राज्य और जिला स्तर पर ढांचा: SEPC और DEPC का गठन
अधिकारी ने यह भी जानकारी दी कि सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने राज्य स्तर पर राज्य निर्यात संवर्धन समिति (State Export Promotion Committee – SEPC) और जिला स्तर पर जिला निर्यात संवर्धन समिति (District Export Promotion Committee – DEPC) का गठन कर लिया है। ये समितियां निर्यात संवर्धन गतिविधियों (export promotion activities) को स्थानीय स्तर पर गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
इसके अलावा, विदेश व्यापार महानिदेशालय (Directorate General of Foreign Trade – DGFT) के क्षेत्रीय अधिकारियों ने देश के 590 जिलों के लिए जिला कार्ययोजना (District Action Plan) का मसौदा (draft) तैयार किया है। इनमें से 249 जिलों को डीईपीसी ने औपचारिक रूप से अधिसूचित (formally notified) भी कर दिया है। अधिकारी ने बताया कि इन योजनाओं में जिलों से निर्यात को बढ़ावा देने की एक व्यापक रणनीति शामिल है, जो स्थानीय उत्पादों और सेवाओं की निर्यात क्षमता को उजागर करेगी।
केंद्र की पहल: घरेलू विनिर्माण, रोजगार सृजन को बढ़ावा
केंद्र सरकार लगातार राज्यों को निर्यात संवर्धन गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि इससे घरेलू विनिर्माण (domestic manufacturing) और रोजगार सृजन (job creation) को सीधा बढ़ावा मिलेगा। जब स्थानीय स्तर पर उत्पादों का उत्पादन और निर्यात बढ़ता है, तो न केवल अर्थव्यवस्था को गति मिलती है, बल्कि लोगों के लिए आजीविका के नए अवसर भी पैदा होते हैं।
अधिकारी ने पुष्टि की, “28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य निर्यात रणनीति तैयार की गई है। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्य शामिल हैं।” ये राज्य भारत के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, और उनकी विशिष्ट रणनीतियाँ देश के समग्र निर्यात प्रदर्शन को बेहतर बनाएंगी।
विदेश व्यापार नीति 2023 और ‘जिला निर्यात केंद्र’ पहल
विदेश व्यापार नीति (Foreign Trade Policy – FTP) 2023 में, डीजीएफटी ने एक महत्वपूर्ण पहल ‘जिला निर्यात केंद्र’ (Districts as Export Hubs) को शामिल किया है। इस पहल का उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले की क्षमता और विविधता को दिशा प्रदान करके उन्हें निर्यात केंद्र बनाना है। यह एक दूरदर्शी कदम है जो भारत की विशाल भौगोलिक और आर्थिक विविधता का लाभ उठाना चाहता है। हर जिले की अपनी विशिष्ट पहचान और उत्पाद होते हैं, और इस पहल के माध्यम से उन्हें वैश्विक बाजार से जोड़ा जाएगा।
इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, देश के सभी जिलों में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों और सेवाओं की पहचान की गई है। यह एक विस्तृत अभ्यास है जिसमें प्रत्येक जिले की विशिष्ट ताकत और अवसरों का विश्लेषण किया जाता है।
संस्थागत व्यवस्था : बाधाओं को दूर करने पर फोकस
निर्यात संवर्धन के लिए सहायता प्रदान करने और निर्यात वृद्धि की बाधाओं को दूर करने के लिए एक मजबूत संस्थागत व्यवस्था (institutional arrangement) बनाई गई है:
* राज्य स्तर पर एसईपीसी (SEPC): राज्य स्तर पर निर्यात नीतियों और रणनीतियों का समन्वय करती है।
* जिला स्तर पर डीईपीसी (DEPC): जमीनी स्तर पर निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देती है और स्थानीय स्तर पर आने वाली चुनौतियों का समाधान करती है।
उत्पादकों (producers) और विनिर्माताओं (manufacturers) दोनों के लाभ के लिए पहचाने गए उत्पादों और सेवाओं के लिए जिला निर्यात कार्ययोजनाएं (District Export Action Plans) तैयार की जा रही हैं। इन कार्ययोजनाओं का मकसद निर्यात की चुनौतियों का समाधान करना है, जिसमें बुनियादी ढांचा बाधाएं (infrastructure bottlenecks), आपूर्ति श्रृंखला अंतर (supply chain gaps) की पहचान करना, बाजार पहुंच में सुधार (improving market access) और निर्यात बढ़ाने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करना शामिल है।
कुल मिलाकर, भारत सरकार की यह पहल देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण को दर्शाती है, जहाँ केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर मिलकर काम करेंगे ताकि भारत को वैश्विक व्यापार में एक प्रमुख शक्ति बनाया जा सके।