नई दिल्ली। petrol pumps : भारत में पेट्रोल और डीजल हर घर की ज़रूरत है और अब सरकार इसमें एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। सरकार पेट्रोल पंपों को लाइसेंस देने के नियमों को आसान बनाने पर विचार कर रही है, ताकि भारतीय ईंधन बाजार में ज़्यादा से ज़्यादा कंपनियों को आने का मौका मिल सके। इसका सीधा फायदा आम जनता को होगा, क्योंकि Competition बढ़ने से Service और सुविधाओं में सुधार की उम्मीद है। ये पूरा फैसला एक सरकारी आदेश के बाद सामने आया है, जिसमें 2019 के दिशानिर्देशों को Review करने की बात कही गई है।
क्यों हो रहा है ये बदलाव?
यह बदलाव ऐसे ही नहीं हो रहा। इसके पीछे कई बड़े कारण हैं। आज पूरी दुनिया में ग्लोबल फ्यूल लैंडस्केप बदल रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन (EV) तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं और वैकल्पिक ईंधन जैसे कि CNG, LNG और हाइड्रोजन का महत्व बढ़ता जा रहा है। सरकार भारत को एनर्जी सिक्योरिटी के मामले में और मज़बूत बनाना चाहती है। इसके साथ ही, हमारा देश कार्बन एमिशन को कम करने के लिए भी प्रतिबद्ध है, जिसके लिए नई और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना बहुत ज़रूरी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई है।
क्या काम करेगी ये एक्सपर्ट कमेटी?
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 2019 की मौजूदा नीति की समीक्षा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। इस कमेटी का मुख्य काम इन तीन बातों पर ध्यान देना है:
1. 2019 की नीति की समीक्षा: यह देखना कि 2019 में जो नियम बने थे, वे आज कितने प्रभावी हैं।
2. वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा: ऐसे उपाय सुझाना जिनसे इलेक्ट्रिक परिवहन और दूसरे वैकल्पिक ईंधनों को बढ़ावा मिले।
3. चुनौतियों की पहचान: मौजूदा दिशानिर्देशों को लागू करने में क्या-क्या दिक्कतें आ रही हैं, उनका पता लगाना।
इस समिति की अध्यक्षता बीपीसीएल (BPCL) के पूर्व निदेशक (मार्केटिंग) सुखमल जैन कर रहे हैं। इनके साथ और भी बड़े नाम इस कमेटी में शामिल हैं, जैसे पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के महानिदेशक पी. मनोज कुमार, फिपी के सदस्य पीएस रवि और मंत्रालय के निदेशक (विपणन) अरुण कुमार। यह कमेटी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद नई पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार होगा। सबसे अच्छी बात यह है कि मंत्रालय ने आम लोगों और स्टेकहोल्डर्स से भी इस पर 14 दिनों के अंदर सुझाव मांगे हैं, जो एक पारदर्शी प्रक्रिया का हिस्सा है।
लाइसेंस के नियमों में क्या बदल रहा है?
अगर आप पेट्रोल पंप खोलने के नियमों को देखें, तो सरकार ने पिछले कुछ सालों में इन्हें काफी आसान बनाया है।
– पुराने नियम (2019 से पहले): पहले अगर किसी कंपनी को पेट्रोल पंप खोलना होता था, तो उसे 2,000 करोड़ रुपये की ऊर्जा क्षेत्र में निवेश प्रतिबद्धता दिखानी पड़ती थी। ये रकम बहुत बड़ी थी, जिससे छोटी कंपनियां चाहकर भी इस फील्ड में नहीं आ पाती थीं।
– 2019 के नियम: सरकार ने इन नियमों को बदला और गैर-पेट्रोलियम कंपनियों के लिए भी रास्ता खोल दिया। अब सिर्फ 250 करोड़ रुपये की शुद्ध संपत्ति (Net Worth) वाली कंपनी भी पेट्रोल और डीजल बेच सकती थी। अगर कोई कंपनी खुदरा (Retail) और थोक (Wholesale) दोनों उपभोक्ताओं को सप्लाई करना चाहती थी, तो उसकी शुद्ध संपत्ति 500 करोड़ रुपये होनी चाहिए थी।
सरकार अब इन नियमों को और भी शिथिल (Relax) करने पर विचार कर रही है। इससे उन कंपनियों को भी मौका मिलेगा जो कम पैसों में भी अच्छी सर्विस दे सकती हैं।
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