भारत की GDP पर लगेगा EU Carbon Tax? 5 साल में ₹5,500 करोड़ का झटका, Study में हुआ खुलासा

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

नई दिल्ली: Carbon Tax : आने वाले सालों में भारत को एक बड़ी आर्थिक चुनौती (economic challenge) का सामना करना पड़ सकता है। एक अध्ययन (study) के अनुसार, अगर भारत ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया, तो यूरोपीय संघ (European Union – EU) के नए कार्बन टैक्स के चलते देश की जीडीपी (GDP) को 2026 से 2030 के बीच 0.02 से 0.03 प्रतिशत तक का झटका लग सकता है। शोध संस्थान ‘सेंटर फॉर सोशल एंड इकनॉमिक प्रोग्रेस’ (CSEP) की रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है। इससे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, बल्कि इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर भी होगा।

क्या है EU का CBAM? भारत पर क्यों होगा इसका असर?

यूरोपीय संघ ने एक नया कानून लागू किया है, जिसे ‘कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली’ (CBAM) कहा जाता है। यह एक तरह का टैक्स है जो उन देशों से आने वाले कुछ खास उत्पादों पर लगाया जाएगा जहां पर्यावरण संबंधी नियम और कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) नियंत्रण के मानक कम सख्त हैं।

– किन क्षेत्रों पर होगा असर? यह टैक्स शुरुआती दौर में उन प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों पर लगेगा जिनमें कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता है। इनमें स्टील, एल्युमीनियम, सीमेंट, उर्वरक, बिजली और हाइड्रोजन जैसी वस्तुएं शामिल हैं। भारत इन सभी उत्पादों का यूरोपीय संघ को एक बड़ा निर्यातक (exporter) है, इसीलिए यह टैक्स भारत के लिए एक बड़ी मुसीबत बन सकता है।

– कितना होगा टैक्स? स्टडी के अनुसार, 2026 में यह टैक्स प्रति टन कार्बन डाई-ऑक्साइड के बराबर ₹5,200 होगा और यह हर साल 5 प्रतिशत की दर से बढ़ता जाएगा।

स्टडी के चौंकाने वाले आंकड़े: जानें कितना होगा नुकसान?

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत ने घरेलू स्तर पर कोई कार्बन टैक्स Carbon Tax नहीं लगाया, तो इस टैक्स का सीधा नुकसान भारतीय अर्थव्यवस्था और लोगों को होगा।

– आर्थिक नुकसान: भारतीय निर्यातकों (exporters) को अपने 90 प्रतिशत उत्पादों पर यह टैक्स चुकाना पड़ेगा। इस तरह, वर्ष 2030 तक भारत को यूरोपीय संघ को करीब ₹5,500 करोड़ रुपये चुकाने पड़ सकते हैं। यह एक बड़ा आर्थिक नुकसान होगा जिसे रोका जा सकता है।

– घरेलू असर: इस टैक्स के चलते भारत में कार्बन उत्सर्जन वाले सामानों की कीमतें बढ़ेंगी, जिसका सबसे ज्यादा असर शहरी परिवारों और उद्योगों पर पड़ेगा।

यह नुकसान सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह सीधे तौर पर हमारे व्यापार, उद्योग और लोगों की आय पर असर डालेगा।

मुसीबत में समाधान: घरेलू कार्बन टैक्स का मॉडल

CSEP ने इस समस्या का एक बहुत ही स्मार्ट सॉल्यूशन (solution) भी सुझाया है। उनका कहना है कि अगर भारत खुद अपने स्तर पर कार्बन मूल्य निर्धारण प्रणाली (carbon pricing system) यानी एक घरेलू कार्बन टैक्स Carbon Tax लगाता है, तो यह यूरोपीय संघ के टैक्स का आर्थिक असर काफी हद तक कम कर सकता है।

इस मॉडल का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि टैक्स से मिलने वाला रेवेन्यू (revenue) यूरोप के पास जाने की बजाय भारत के पास ही रहेगा। स्टडी के अनुसार, इस टैक्स से सरकार वर्ष 2026 में ₹2.93 लाख करोड़ और 2030 में ₹3.61 लाख करोड़ तक की आय जुटा सकती है।

इस पैसे का इस्तेमाल सरकार ग्रीन सब्सिडी (green subsidies), औद्योगिक कार्बन कटौती और जरूरतमंद परिवारों की मदद पर कर सकती है। यानी, इस चुनौती को एक अवसर में बदला जा सकता है।

भारत की बड़ी चुनौती: आर्थिक ग्रोथ और पर्यावरण संतुलन

यह रिपोर्ट भारत के सामने आर्थिक ग्रोथ और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की एक बड़ी चुनौती पेश करती है। दुनियाभर में सभी देश अब जलवायु परिवर्तन (climate change) के मुद्दे पर ज्यादा गंभीर हो रहे हैं और कार्बन टैक्स Carbon Tax जैसे कदम उसी दिशा में एक कदम है। भारत के लिए यह सही समय है कि वह सिर्फ दूसरे देशों के नियमों का पालन न करे, बल्कि खुद भी पर्यावरण के अनुकूल नीति (eco-friendly policies) बनाकर इस क्षेत्र में एक लीडर बने।

Latest Business News in HindiStock Market Updates सबसे पहले मिलेंगे आपको सिर्फ Business Buzz Times पर. बिजनेस न्यूज़ और अन्य देश से जुड़ी खबरें से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करेंTwitter(X) पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED NEWS

Breaking News