Apparel exports : ट्रंप के 25% शुल्क से भारत के कपड़े निर्यात पर पड़ेगी मार, AEPC की चेतावनी

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नई दिल्ली: Apparel exports : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा 1 अगस्त, 2025 से भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क (25% tariff) और जुर्माना लगाने की घोषणा से भारत के परिधान निर्यात (apparel exports) पर गंभीर असर पड़ सकता है। यह बात परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (AEPC – Apparel Export Promotion Council) ने बृहस्पतिवार, 31 जुलाई 2025 को कही है। AEPC ने एक बयान में ज़ोर दिया कि दोनों देशों के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते (interim trade agreement) की घोषणा से निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और मौजूदा अनिश्चितता कम होगी।

Apparel exports : अप्रत्याशित शुल्क और उद्योग की चिंता

AEPC के चेयरमैन सुधीर सेखरी (Sudhir Sekhri) ने कहा कि 25 प्रतिशत का शुल्क अनुमान से कहीं अधिक है, जो उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग को तबतक बहुत ज़्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए जबतक वियतनाम (Vietnam) और बांग्लादेश (Bangladesh) के शुल्क को वर्तमान स्तर से नीचे संशोधित नहीं किया जाता। इसका मतलब है कि भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता तब तक बनी रहेगी जब तक प्रतिद्वंद्वी देशों को भी समान या ऊंचे शुल्क का सामना करना पड़ रहा हो।

सेखरी ने उम्मीद जताई कि, “अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा होने तक परिधान निर्यात में मंदी रहने की उम्मीद है, जिसके अक्टूबर-दिसंबर 2025 में संपन्न होने की उम्मीद है। जुर्माना एक अस्पष्ट क्षेत्र है और उम्मीद है कि भारत सरकार 1 अगस्त, 2025 से पहले अमेरिका के साथ इस पर बातचीत करेगी।” यह दिखाता है कि उद्योग की निगाहें अब सरकार और अमेरिका के बीच होने वाली बातचीत पर टिकी हैं ताकि इस व्यापारिक गतिरोध को सुलझाया जा सके।

 

अमेरिका: भारतीय परिधानों का प्रमुख बाज़ार

अमेरिका भारतीय सिले-सिलाए परिधानों (ready-made garments) के निर्यात के लिए एक प्रमुख बाज़ार है। पिछले साल, भारत के कुल परिधान निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत (33%) रही थी, जो इस बाज़ार के महत्व को रेखांकित करता है।

अमेरिकी परिधान आयात बाज़ार में भारत की उपस्थिति लगातार बढ़ी है। भारत की हिस्सेदारी 2020 के 4.5 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 5.8 प्रतिशत (5.8%) हो गई है, और यह अमेरिका के शीर्ष सिले-सिलाए परिधान निर्यातकों में चौथे स्थान (fourth position) पर है। यह भारतीय वस्त्र उद्योग की बढ़ती वैश्विक पहुंच और क्षमता को दर्शाता है।

प्रतिस्पर्धी देशों की स्थिति

– चीन (China): अमेरिका का शीर्ष निर्यातक चीन बना हुआ है, जिसकी बाज़ार हिस्सेदारी 2024 में 21.9 प्रतिशत (21.9%) रही थी। हालांकि, यह 2020 में 27.4 प्रतिशत थी, जो चीन की हिस्सेदारी में गिरावट को दिखाता है।
– वियतनाम और बांग्लादेश: चीन, वियतनाम और बांग्लादेश ने मिलकर 2024 में अमेरिकी परिधान आयात में 49 प्रतिशत (49%) की आपूर्ति की। ये तीनों देश भारतीय निर्यातकों के लिए प्रमुख प्रतिस्पर्धी हैं, और इन पर लागू होने वाले शुल्क भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को सीधे प्रभावित करेंगे।

भारत द्वारा अमेरिका को सर्वाधिक निर्यात किए जाने वाले शीर्ष तीन उत्पाद हैं:
1. सूती टी-शर्ट (Cotton T-shirts)
2. महिलाओं या लड़कियों के सूती कपड़े (Cotton apparel for women or girls)
3. शिशुओं के सूती वस्त्र (Cotton garments for infants)

ये उत्पाद अमेरिकी शुल्कों से सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे, और इनके निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा।

आगे की राह और सरकार की भूमिका

अमेरिकी शुल्कों की यह घोषणा भारतीय परिधान उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक बाज़ार पहले से ही अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है। उद्योग को अब सरकार से उम्मीद है कि वह अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर तत्काल बातचीत करे और एक ऐसा समाधान खोजे जिससे भारतीय निर्यातकों को कम से कम नुकसान हो। एक सफल अंतरिम व्यापार समझौता इस गतिरोध को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

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