नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में बढ़ते साइबर खतरों ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। वर्ष 2025 के मध्य तक (mid-2025), क्रिप्टो संपत्तियों की चोरी का आंकड़ा $2.17 अरब (लगभग ₹18,100 करोड़) को पार कर गया है। यह नवीनतम आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत देते हैं कि डिजिटल संपत्ति की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है और हैकर्स (hackers) लगातार नए और अधिक परिष्कृत तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
चेनालिसिस की रिपोर्ट: 2025 अब तक का सबसे खराब साल
ब्लॉकचेन विश्लेषक फर्म ‘चेनालिसिस’ (Chainalysis) की 2025 की पहली छमाही पर जारी रिपोर्ट ने इन चौंकाने वाले आंकड़ों को सामने रखा है। रिपोर्ट बताती है कि साल के मध्य तक $2.17 अरब से अधिक की क्रिप्टो संपत्तियां चोरी हो चुकी हैं। यह आंकड़ा तब और भी चिंताजनक हो जाता है जब हम यह समझते हैं कि इस रिपोर्ट में कॉइनडीसीएक्स (CoinDCX) से पिछले हफ्ते हुई $4.4 करोड़ (लगभग ₹378 करोड़) की हालिया क्रिप्टो चोरी के आंकड़े शामिल नहीं हैं। अगर इन आंकड़ों को भी जोड़ दिया जाए, तो कुल चोरी की राशि और भी बढ़ जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2025 में अब तक चोरी की गई राशि 2024 के समूचे साल की तुलना में भी अधिक है। यहां तक कि यह आंकड़ा अब तक के सबसे खराब साल रहे 2022 से भी 17 प्रतिशत अधिक है। यह साफ दर्शाता है कि साइबर अपराधियों के लिए क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म (cryptocurrency platforms) एक आकर्षक लक्ष्य बने हुए हैं, और वे लगातार अपनी तकनीकों को उन्नत कर रहे हैं।
बाईबिट (Bybit) से $1.5 अरब की चोरी: क्रिप्टो इतिहास की सबसे बड़ी हैकिंग
2025 की कुल क्रिप्टो चोरी में बाईबिट (Bybit) से की गई $1.5 अरब (लगभग ₹12,500 करोड़) की चोरी का एक बड़ा हिस्सा है। यह न केवल इस साल की सबसे बड़ी चोरी है, बल्कि इसे क्रिप्टो इतिहास की सबसे बड़ी हैकिंग (largest hacking in crypto history) में से एक के रूप में भी दर्ज किया गया है। इतनी बड़ी राशि की चोरी ने पूरे क्रिप्टो समुदाय को हिलाकर रख दिया है और एक्सचेंजों की सुरक्षा प्रोटोकॉल (security protocols) पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
क्रिप्टो हैकिंग से परेशान देश: वैश्विक स्तर पर समस्या
क्रिप्टो हैकिंग की समस्या किसी एक देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक मुद्दा बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार, क्रिप्टो हैकिंग से परेशान प्रमुख देशों में अमेरिका, जर्मनी, रूस, कनाडा, जापान, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया शामिल हैं। यह दर्शाता है कि दुनिया भर में क्रिप्टो यूजर्स (crypto users) और एक्सचेंजों को साइबर हमलों का सामना करना पड़ रहा है।
कॉइनडीसीएक्स चोरी का विवरण: साझेदार एक्सचेंज पर अनधिकृत पहुंच
भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक, कॉइनडीसीएक्स, भी हाल ही में इस साइबर हमले का शिकार हुआ। कॉइनडीसीएक्स की सुरक्षा प्रणालियों ने शनिवार को एक साझेदार एक्सचेंज (partner exchange) पर अपने एक खाते में अनधिकृत पहुंच (unauthorized access) का पता लगाया था। इससे लगभग $4.4 करोड़ (यानी करीब ₹378 करोड़) की क्रिप्टो चोरी की जानकारी सामने आई। यह घटना दिखाती है कि भले ही कोई एक्सचेंज अपनी सुरक्षा मजबूत कर ले, लेकिन उसके साझेदारों या जुड़े हुए प्लेटफॉर्म्स में कमजोरी का फायदा उठाकर भी हमला किया जा सकता है।
बढ़ते साइबर खतरे और भविष्य की चुनौतियां
क्रिप्टोकरेंसी बाजार में तेजी से वृद्धि के साथ, साइबर अपराधियों के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं। ये अपराधी विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
* स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट वल्नरेबिलिटीज (Smart Contract Vulnerabilities): स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स में मौजूद कमजोरियों का फायदा उठाना।
* फ़िशिंग और सोशल इंजीनियरिंग (Phishing and Social Engineering): उपयोगकर्ताओं को धोखा देकर उनकी निजी जानकारी या वॉलेट एक्सेस प्राप्त करना।
* प्राइवेट की कंप्रोमाइज़ (Private Key Compromise): निजी चाबियों तक अनधिकृत पहुंच प्राप्त करना।
* एक्सचेंज हैक्स (Exchange Hacks): केंद्रीकृत एक्सचेंजों (centralized exchanges) की सुरक्षा प्रणालियों में सेंध लगाना।
इन बढ़ती चोरी की घटनाओं से क्रिप्टो उद्योग में निवेशकों का विश्वास (investor confidence) कम हो सकता है। इसलिए, एक्सचेंजों और ब्लॉकचेन परियोजनाओं के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपनी सुरक्षा प्रणालियों को लगातार मजबूत करें और उपयोगकर्ताओं को साइबर सुरक्षा के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में शिक्षित करें। नियामक निकायों (regulatory bodies) को भी इस क्षेत्र में अधिक सख्त सुरक्षा मानकों (stricter security standards) को लागू करने पर विचार करना होगा।
