नई दिल्ली/स्टाफ टीम। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India – SEBI), जो देश का प्रमुख पूंजी बाजार नियामक (capital market regulator) है, म्यूचुअल फंड (mutual funds) के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव पर विचार कर रहा है। यह बदलाव एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (Exchange-Traded Funds – ETFs) के माध्यम से रखे गए भौतिक सोने और चांदी (physical gold and silver) के मूल्यांकन (valuation) की पद्धति से संबंधित है। सेबी का मुख्य उद्देश्य मौजूदा घरेलू बाजार मूल्यों (domestic market prices) के साथ स्थिरता (consistency) और बेहतर तालमेल (better alignment) सुनिश्चित करना है, जिससे निवेशकों को अधिक पारदर्शी और सटीक मूल्यांकन मिल सके।
LBMA से हटकर घरेलू हाजिर कीमतों पर फोकस
बुधवार को जारी एक परामर्श पत्र (consultation paper) के अनुसार, सेबी ने इस संबंध में एक अहम प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव यह है कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (Asset Management Companies – AMCs) को सोने और चांदी के मूल्यांकन के लिए सीधे घरेलू जिंस बाजारों (domestic commodity markets) द्वारा प्रकाशित हाजिर कीमतों (spot prices) का उपयोग करना चाहिए। यह कदम वर्तमान प्रथा का स्थान लेगा, जिसमें मुख्य रूप से लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (London Bullion Market Association – LBMA) के मूल्यों का इस्तेमाल किया जाता है।
सेबी एक समान घरेलू मानक (uniform domestic standard) की पहचान करने और हाजिर मूल्य निर्धारण के लिए एक मानकीकृत व्यवस्था (standardized mechanism) को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने पर भी विचार कर रहा है। यह सुनिश्चित करेगा कि पूरे देश में एक ही तरह से सोने और चांदी का मूल्यांकन हो, जिससे बाजार में एकरूपता (uniformity) आएगी।
वर्तमान मूल्यांकन प्रणाली और उसमें समस्याएं
वर्तमान में, किसी भी ‘गोल्ड ईटीएफ’ योजना (Gold ETF scheme) के तहत रखे गए सोने का मूल्यांकन LBMA के ए.एम. निर्धारण मूल्य (A.M. fixing price) पर अमेरिकी डॉलर प्रति ट्रॉय औंस (US Dollar per troy ounce) के हिसाब से किया जाता है। इसमें 995.0 भाग प्रति हजार की शुद्धता (purity) वाला सोना शामिल होता है। LBMA का ए.एम. गोल्ड फिक्स (A.M. Gold Fix) सोने के प्रति औंस मूल्य को बताता है, जिस पर लंदन गोल्ड पूल (London Gold Pool) के पांच सदस्यों (बार्कले कैपिटल, डॉयचे बैंक, स्कोटिया-मोकाटा, सोसायटी जनरली और एचएसबीसी) द्वारा प्रत्येक सुबह सहमति व्यक्त की जाती है।
इसी प्रकार, चांदी ईटीएफ योजना (Silver ETF scheme) के तहत रखी गई धातु का मूल्यांकन भी LBMA के ए.एम. स्थिर मूल्य (A.M. fixing price) पर अमेरिकी डॉलर में प्रति ट्रॉय औंस किया जाता है, जिसकी शुद्धता 999.0 भाग प्रति हजार होती है। सोने और चांदी ईटीएफ के जरिये रखे गए भौतिक सोने और चांदी का मूल्यांकन आवश्यक बदलावों के बाद LBMA मूल्य के आधार पर किया जाता है।
इसके विपरीत, म्यूचुअल फंड योजनाओं के तहत रखे गए एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव्स (Exchange Traded Commodity Derivatives – ETCD) का मूल्यांकन संबंधित घरेलू जिंस बाजारों पर वायदा कारोबार (futures trading) के समापन मूल्य (closing price) का उपयोग करके किया जाता है। एक ही परिसंपत्ति (asset) के मूल्यांकन के तरीकों में इस अंतर के कारण मानकीकरण (standardization) की जरूरत महसूस की गई है।
प्रस्तावित बदलाव से सरलीकरण और घरेलू बाजार का प्रतिनिधित्व
इस अंतर को देखते हुए, सेबी ने अपने परामर्श पत्र में प्रस्ताव किया है कि मूल्यांकन के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में LBMA मूल्य का उपयोग करने के बजाय, यह अनिवार्य किया जा सकता है कि परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां सोने और चांदी के मूल्यांकन के लिए सीधे घरेलू जिंस बाजारों द्वारा प्रकाशित हाजिर कीमतों का उपयोग करें।
सेबी के अनुसार, इस कदम से कई फायदे होंगे:
* दोहराव में कमी: इससे मूल्यांकन प्रक्रिया में अनावश्यक दोहराव (duplication) कम होगा।
* घरेलू बाजार का प्रतिनिधित्व: यह घरेलू मांग और आपूर्ति परिदृश्यों (demand and supply scenarios) के अनुसार सोने और चांदी के वास्तविक बाजार मूल्यों का बेहतर प्रतिनिधित्व भी करेगा। वर्तमान में, LBMA कीमतों को अमेरिकी डॉलर में उपयोग करना, उन्हें भारतीय रुपये में परिवर्तित करना, सीमा शुल्क (customs duty) जोड़ना तथा अनुमानित प्रीमियम या छूट (premium or discount) के माध्यम से घरेलू मांग या आपूर्ति के लिए समायोजन (adjustment) करना पड़ता है। यह प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी होती है।
* प्रक्रिया का सरलीकरण: इस कदम से मूल्यांकन प्रक्रिया काफी सरल होने की उम्मीद है। यह बदलाव भारतीय बाजार की विशिष्टताओं को ध्यान में रखेगा, क्योंकि भारत सोने और चांदी का एक बड़ा उपभोक्ता है और यहां की स्थानीय मांग-आपूर्ति की स्थिति वैश्विक बाजारों से अलग हो सकती है।
जनता से सुझाव आमंत्रित: 6 अगस्त तक का समय
नियामक ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर जनता और सभी हितधारकों (stakeholders) से सुझाव आमंत्रित किए हैं। सुझाव देने की अंतिम तिथि 6 अगस्त है। सेबी ऐसे महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों से पहले आम जनता और उद्योग विशेषज्ञों की राय लेना पसंद करता है ताकि एक संतुलित और प्रभावी नियामक ढांचा तैयार किया जा सके।
यह कदम भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। इससे गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ में निवेश करने वाले निवेशकों को अधिक स्पष्टता मिलेगी और उनके निवेश का मूल्यांकन घरेलू बाजार की वास्तविकताओं के करीब होगा।
