नई दिल्ली: `अमेरिकी शुल्क`की चिंताओं के बीच कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान Shivraj Singh Chouhan ने किसानों को भरोसा दिया है। उन्होंने मंगलवार को किसानों से कहा कि वे मौजूदा `मुश्किल समय` को लेकर “चिंता न करें”, क्योंकि भारत अपनी कृषि उपज के लिए नए `बाजारों` की तलाश करेगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब `अमेरिका` ने भारतीय वस्तुओं पर `शुल्क` (tariff) बढ़ाकर `50 प्रतिशत` कर दिया है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब दोनों देश एक `द्विपक्षीय व्यापार समझौते` पर चर्चा कर रहे हैं, जो भारत के कृषि और डेयरी बाज़ार तक ज़्यादा पहुँच की अमेरिकी मांग के कारण अटका हुआ है।
पीएम मोदी के रुख को दोहराया
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान Shivraj Singh Chouhan ने किसान नेताओं के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने इस मामले में एक बहुत ही स्पष्ट रुख अपनाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान को दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “वह देश के किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें भारी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।” चौहान ने कहा कि यह बयान “भारत और भारतीय किसानों की आवाज़” है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार का फ़ैसला अटल है और हम अपने किसानों के हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
140 करोड़ की आबादी हमारी ताकत है
`मंत्री Shivraj Singh Chouhan` ने भारत के विशाल `घरेलू बाज़ार` की ताक़त पर भी ज़ोर दिया।
– बड़ा बाजार: उन्होंने कहा, “आप चिंता मत कीजिए। हम नए बाज़ार तलाशेंगे। भारत इतना बड़ा बाज़ार है कि इसकी ख़पत यहीं होगी।”
– ताकत या कमजोरी: उन्होंने `अमेरिका` की `30 करोड़` और `यूरोप` की `50 करोड़` की आबादी से तुलना करते हुए कहा, “`भारत की 140 करोड़ की आबादी हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी ताकत है।`” उन्होंने कहा कि यह हमारी `परीक्षा की घड़ी` है और हमें किसी के सामने “झुकने की ज़रूरत नहीं है।”
भारत और अमेरिका के किसानों में कोई तुलना नहीं
Shivraj Singh Chouhan ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के किसानों के बीच `उचित तुलना` (`fair comparison`) नहीं की जा सकती।
– जमीन का अंतर: उन्होंने बताया कि जहाँ अमेरिकी किसानों के पास `10,000-15,000 हेक्टेयर` की विशाल `कृषि जोत` (`agricultural holdings`) होती है, वहीं भारतीय किसानों के पास `तीन एकड़ से भी कम` ज़मीन होती है।
– कम उत्पादन लागत: अमेरिका में `आनुवंशिक रूप से संवर्धित` (genetically modified) और अन्य उन्नत `तकनीकों` के उपयोग के कारण `प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत` भी कम होती है।
`मंत्री` ने कहा कि अमेरिका अपने सोयाबीन, मक्का, गेहूं और अन्य उत्पादों को यहाँ भेजना चाहता है। “अगर यह यहाँ आसानी से पहुँचता है, तो इससे स्थानीय कीमतों में और गिरावट आएगी। फिर हमारे किसान कहाँ जाएँगे?” चौहान ने कहा, “इसलिए, यह निर्णय लिया गया कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसानों के हितों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।”
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