नई दिल्ली: भारतीय विमानन क्षेत्र में यात्री सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एक हालिया अखिल भारतीय ऑनलाइन सर्वेक्षण में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है: करीब 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि भारत में कई विमानन कंपनियां यात्री सुरक्षा (passenger safety) सुनिश्चित करने की तुलना में प्रचार (promotion) पर अधिक खर्च कर रही हैं। यह सर्वेक्षण ऐसे समय में आया है जब हाल ही में विमानन क्षेत्र से जुड़ी कई गंभीर घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने हवाई यात्रा की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है।
हाल की घटनाएं और यात्रियों के मुश्किल अनुभव
लोकलसर्किल्स (LocalCircles) द्वारा किए गए इस ऑनलाइन सर्वेक्षण में देश के 322 जिलों के नागरिकों से 44,000 प्रतिक्रियाएं मिलीं। सर्वेक्षण में शामिल 64 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पिछले तीन वर्षों में कम से कम एक बार उड़ान के समय मुश्किल अनुभव करने की बात कही। इसमें उड़ान भरते, उतरते या उसके दौरान जटिल परिस्थितियों का सामना करना शामिल है।
हाल ही में सामने आईं हवाई और जमीनी स्तर की घटनाएं इस सर्वेक्षण को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
* एयर इंडिया की बोइंग 787-8 दुर्घटना: पिछले महीने टाटा समूह द्वारा संचालित एयर इंडिया की एक बोइंग 787-8 विमान अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस भीषण हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई थी, और जमीन पर घटनास्थल पर मौजूद अन्य 19 लोगों ने भी जान गंवा दी थी। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (Aircraft Accident Investigation Bureau – AAIB) इस दुर्घटना की जांच कर रहा है और उसने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट पहले ही प्रस्तुत कर दी है।
* कोच्चि-मुंबई उड़ान का रनवे से बाहर निकलना: सोमवार को एयर इंडिया की कोच्चि-मुंबई उड़ान में सवार यात्री बाल-बाल बच गए, जब जमीन पर उतरते समय विमान रनवे से बाहर निकल गया, जिससे विमान को भारी नुकसान पहुंचा। यह घटना विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल (aviation safety protocols) के पालन पर सवाल उठाती है।
* दिल्ली-कोलकाता उड़ान रद्द: सोमवार को ही एयर इंडिया की दिल्ली से कोलकाता की उड़ान को “तकनीकी खराबी” (technical glitch) के कारण अंतिम समय में रद्द कर दिया गया। अंतिम समय में उड़ान रद्द होने से यात्रियों को भारी असुविधा हुई और यह दिखाता है कि विमानों के रखरखाव में कमी हो सकती है।
* गोवा-पुणे इंडिगो उड़ान की आपात लैंडिंग: गोवा से इंडिगो की एक उड़ान को “लैंडिंग गियर” (landing gear) संबंधी समस्या के कारण आपात स्थिति में उतारा गया। लैंडिंग गियर की समस्या एक गंभीर तकनीकी खराबी है जो दुर्घटना का कारण बन सकती है।
* स्पाइसजेट की खिड़की का फ्रेम टूटना: इसी दौरान गोवा-पुणे के बीच उड़ान भरने वाली स्पाइसजेट की एक उड़ान की बाहरी खिड़की का ‘फ्रेम’ (frame) हवा में ही टूट गया, जिससे बॉम्बार्डियर क्यू400 विमान में सवार यात्रियों में दहशत फैल गई। यह घटना सीधे विमान के संरचनात्मक अखंडता (structural integrity) से संबंधित है, जो यात्री सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।
सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष: प्रचार बनाम सुरक्षा
सर्वेक्षण में हवाई यात्रा करने वाले लोगों से सीधा सवाल पूछा गया, “क्या आप मानते हैं कि भारत स्थित विमानन कंपनियां सुरक्षा की तुलना में प्रचार पर अधिक खर्च कर रही हैं?”
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस प्रश्न का उत्तर देने वाले 26,696 लोगों में से:
* 43 प्रतिशत ने कहा कि “हां, सभी विमानन कंपनियां ऐसा करती हैं।”
* 33 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि “हां, उनमें से कुछ ऐसा करती हैं।”
* 11 प्रतिशत ने कहा कि “नहीं, ऐसा कोई नहीं करता।”
* वहीं 13 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।
संक्षेप में, सर्वेक्षण में शामिल 76 प्रतिशत भारतीय यात्रियों का मानना है कि कई विमानन कंपनियां सुरक्षा की तुलना में प्रचार पर अधिक खर्च कर रही हैं। यह आंकड़ा भारतीय यात्रियों के बीच विमानन कंपनियों के सुरक्षा रिकॉर्ड को लेकर बढ़ती चिंता को दर्शाता है। सर्वेक्षण में शामिल कुल उत्तरदाताओं में से 63 प्रतिशत पुरुष और 37 प्रतिशत महिलाएं थीं।
नियामक की भूमिका और एयरलाइंस की जिम्मेदारी
यह सर्वेक्षण और हाल की घटनाएं भारतीय विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation – DGCA) और स्वयं एयरलाइंस के लिए एक वेक-अप कॉल (wake-up call) हैं। एयरलाइंस को अपनी सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने, रखरखाव पर अधिक निवेश करने और पायलटों व केबिन क्रू (cabin crew) के लिए उचित प्रशिक्षण और आराम के समय को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
यात्री सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि होनी चाहिए, और किसी भी विमानन कंपनी को अपने व्यावसायिक हितों के लिए सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। सरकार और नियामक निकायों को यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी कि एयरलाइंस सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करें और किसी भी उल्लंघन के लिए सख्त कार्रवाई की जाए। यात्रियों का विश्वास बनाए रखना विमानन उद्योग के दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
आपकी राय में, भारतीय विमानन नियामक (DGCA) को यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एयरलाइंस पर किस तरह की नई और सख्त शर्तें लागू करनी चाहिए?