वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर अपनी “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति के तहत एक बड़ा और कड़ा क़दम उठाने का ऐलान किया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि वह अमेरिका में आयात होने वाली कंप्यूटर चिप्स पर 100 प्रतिशत का भारी-भरकम शुल्क (tariff) लगाएँगे। इस फ़ैसले का सीधा असर दुनिया भर के उन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर पड़ेगा, जो इन चिप्स पर निर्भर करते हैं।
यह घोषणा ट्रंप ने एप्पल (Apple) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) टिम कुक के साथ एक बैठक के दौरान की। इस दौरान उन्होंने साफ़-साफ़ कहा, “हम चिप्स और सेमीकंडक्टर पर लगभग 100 प्रतिशत शुल्क लगाएँगे। लेकिन अगर आप अमेरिका में निर्माण कर रहे हैं, तो कोई शुल्क नहीं लगेगा।” यह बयान बताता है कि इस कदम का मुख्य उद्देश्य विदेशों से आयात को हतोत्साहित कर घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है।
क्यों लगाई जा रही है 100% की भारी-भरकम ड्यूटी?
Donald Trump की यह रणनीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था को विदेशी सप्लाई चेन (supply chain) पर निर्भरता से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। कंप्यूटर चिप्स आज के डिजिटल युग में हर चीज़ का ज़रूरी हिस्सा हैं। यह न सिर्फ़ स्मार्टफ़ोन और कंप्यूटर में होते हैं, बल्कि ऑटोमोबाइल, घरेलू उपकरणों जैसे कि फ्रिज और माइक्रोवेव, और यहाँ तक कि औद्योगिक मशीनों में भी इनका इस्तेमाल होता है।
ट्रंप का मानना है कि इतनी ज़्यादा ड्यूटी लगाने से विदेशी कंपनियाँ मजबूर होकर अमेरिका में ही अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाएंगी। इससे अमेरिका में रोज़गार पैदा होगा और देश की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री मज़बूत होगी। यह घोषणा, उनकी उस नीति का ही हिस्सा है, जिसके तहत वह अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने और चीन जैसे देशों से आयात कम करने पर जोर देते रहे हैं।
आम लोगों पर क्या होगा इसका असर?
अगर यह योजना लागू हो जाती है, तो इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। 100% का शुल्क लगने से आयातित चिप्स की क़ीमतें दोगुनी हो जाएँगी। इसका असर उन सभी उत्पादों पर दिखेगा जिनमें ये चिप्स इस्तेमाल होते हैं।
– इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद: फ़ोन, लैपटॉप, टीवी जैसे उत्पादों की क़ीमतें आसमान छू सकती हैं।
– ऑटोमोबाइल: कारों की क़ीमतों में भी बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है, क्योंकि आधुनिक कारों में सैकड़ों चिप्स का उपयोग होता है।
– घरेलू उपकरण: फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे आम घरेलू उपकरणों के दाम भी बढ़ सकते हैं।
इस तरह की बढ़ोतरी से अमेरिका में महँगाई (inflation) और भी ज़्यादा बढ़ सकती है, जिससे आम लोगों की जेब पर सीधा बोझ पड़ेगा।
कोविड काल की चिप शॉर्टेज से सबक
यह फ़ैसला कोविड-19 महामारी के दौरान हुई चिप शॉर्टेज की याद दिलाता है। उस समय, पूरी दुनिया की सप्लाई चेन बुरी तरह से बाधित हो गई थी, जिससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई थी। कारों की क़ीमतें बढ़ गई थीं और ग्राहकों को महीनों तक अपनी पसंदीदा कार के लिए इंतज़ार करना पड़ा था। ट्रंप का यह क़दम उस तरह की स्थिति को भविष्य में फिर से पैदा होने से रोकने का एक प्रयास हो सकता है, ताकि अमेरिका अपनी ज़रूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहे।
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की रणनीति
Donald Trump के इस फ़ैसले का उद्देश्य स्पष्ट है: अमेरिकी सेमीकंडक्टर और कंप्यूटर चिप्स इंडस्ट्री को फिर से मज़बूत करना। हालाँकि, यह कदम कितना प्रभावी होगा और इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा, यह देखना बाकी है। जहाँ कुछ लोग इसे अमेरिकी उद्योगों को बचाने का एक मज़बूत तरीक़ा मान रहे हैं, वहीं कुछ विश्लेषक इसे महँगाई बढ़ाने वाला क़दम बता रहे हैं। यह घोषणा, ट्रंप की उस नीति का हिस्सा है जो आने वाले समय में वैश्विक व्यापार पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
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