भारत में General insurance premium 5.2 फीसदी बढ़ा, नियम में बदलावों का दिखा असर

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नई दिल्ली/स्टाफ टीम। भारतीय साधारण बीमा उद्योग (general insurance industry) ने जून माह में सालाना आधार पर5.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए कुल प्रीमियम (premium) संग्रह को 23,422.5 करोड़ रुपये तक पहुंचाया है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है, लेकिन यह भी बताया गया है कि नियम में बदलावों (regulatory changes) के कारण वृद्धि की रफ्तार थोड़ी सुस्त पड़ी है। पिछले साल, यानी जून 2024 में, साधारण बीमा का प्रीमियम 8.4 प्रतिशत बढ़ा था, जिससे मौजूदा वृद्धि में कमी साफ दिख रही है।

General insurance क्यों धीमी पड़ी है वृद्धि की रफ्तार?

केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) ने अपनी रिपोर्ट में इस धीमी वृद्धि के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला है। रिपोर्ट के अनुसार,”नियम में बदलाव ने उद्योग के प्रदर्शन को प्रभावित किया है।” इसका सीधा असर कुछ प्रमुख सेगमेंट (segments) पर देखा गया है:

*स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance): नियामक बदलावों के कारण स्वास्थ्य बीमा की वृद्धि इकाई अंक (single digit) में रही है, जबकि यह खंड आमतौर पर मजबूत वृद्धि दिखाता है।

*यात्री वाहन खंड (Passenger Vehicle Segment): इस सेगमेंट में भी धीमी वृद्धि दर्ज की गई है। वाहन बिक्री (vehicle sales) और बीमा दरों से जुड़े नियमों में बदलावों का असर इस पर पड़ा है।

*व्यावसायिक बीमा (Commercial Insurance): हालांकि, व्यावसायिक बीमा के नवीनीकरण (renewals) ने इस धीमी रफ्तार को कुछ हद तक संतुलित किया है, जिससे कुल प्रीमियम संग्रह पर बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा।

इन बदलावों का उद्देश्य बाजार में अधिक स्थिरता और पारदर्शिता लाना हो सकता है, लेकिन अल्पकालिक रूप से इनका असर वृद्धि पर दिखाई देता है।

3 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार: एक मील का पत्थर

प्रीमियम वृद्धि में अस्थायी कमी के बावजूद, एक बड़ी उपलब्धि यह है कि वित्त वर्ष2024-25 में साधारण बीमा प्रीमियम तीन लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है। यह भारतीय साधारण बीमा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर (milestone) है, जो सेक्टर की बढ़ती स्वीकार्यता और विस्तार को दर्शाता है।

रिपोर्ट बताती है कि यह उपलब्धि कई कारकों के कारण संभव हुई है:

*मददगार नियम (Supportive Regulations): नियामक द्वारा लाए गए कुछ नियम जो बाजार के विकास को बढ़ावा देते हैं।

*बीमा प्रौद्योगिकी का तीव्र अपनाना (Rapid Adoption of InsurTech): बीमा प्रौद्योगिकी (InsurTech) और फिनटेक (FinTech) का उपयोग बढ़ने से बीमा उत्पादों तक पहुंच आसान हुई है।

*डिजिटलीकरण में तेजी (Accelerated Digitization): बीमा प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण ने ग्राहकों के लिए बीमा खरीदना और दावा करना आसान बना दिया है।

*बढ़ता मध्यम वर्ग (Growing Middle Class): भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग की डिस्पोजेबल इनकम (disposable income) बढ़ने से बीमा उत्पादों की मांग बढ़ी है।

 

‘बीमा तिकड़ी’ और भविष्य की संभावनाएं

रिपोर्ट यह भी बताती है कि सरकार का ‘बीमा तिकड़ी’ (Bima Sugam, Bima Vistar, Bima Vaahak) का प्रयास भी साधारण बीमा क्षेत्र में वृद्धि को गति देने के लिए तैयार है। ये पहलें बीमा को और अधिक सुलभ, सस्ता और व्यापक बनाने पर केंद्रित हैं, जिससे देश के कोने-कोने तक बीमा की पहुंच सुनिश्चित हो सके।

केयरएज रेटिंग्स के निदेशकप्रियेश रूपारेलिया (Priyesh Ruparelia) ने भविष्य की संभावनाओं पर बात करते हुए कहा, “वाहन बीमा की दिशा वाहन बिक्री और तीसरे पक्ष के शुल्क (third-party tariffs) में आगामी संशोधनों पर बारीकी से निर्भर करेगी।” यह इंगित करता है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में होने वाले बदलावों का सीधा असर वाहन बीमा पर पड़ेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि”प्रस्तावित समग्र लाइसेंस प्रणाली (proposed composite licensing system) आने से मध्यम अवधि में प्रतिस्पर्धी परिदृश्य को नया आकार मिल सकता है।” समग्र लाइसेंस प्रणाली बीमा कंपनियों को एक ही लाइसेंस के तहत जीवन और गैर-जीवन (life and non-life) दोनों तरह के बीमा बेचने की अनुमति दे सकती है, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा और नवाचार (innovation) बढ़ सकता है।

 

स्वास्थ्य बीमा: एक प्रमुख विकास चालक

रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य तौर पर स्वास्थ्य बीमा करने वाली कंपनियों से खुदरा स्वास्थ्य क्षेत्र (retail health sector) में अपना दबदबा बनाए रखने की उम्मीद है। कोविड-19 महामारी के बाद, स्वास्थ्य बीमा के प्रति जागरूकता में भारी वृद्धि हुई है, और लोग अब अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह रुझान जारी रहने की उम्मीद है, जिससे स्वास्थ्य बीमा खंड साधारण बीमा उद्योग के लिए एक प्रमुख विकास चालक (growth driver) बना रहेगा।

कुल मिलाकर, भारतीय साधारण बीमा उद्योग चुनौतियों और अवसरों दोनों का सामना कर रहा है। नियामक बदलावों और बाजार की बदलती गतिशीलता के बावजूद, सेक्टर में विकास की मजबूत संभावनाएं मौजूद हैं, खासकर डिजिटलीकरण, बढ़ती जागरूकता और सरकारी पहलों के समर्थन से।

क्या आप ‘बीमा तिकड़ी’ पहल के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे, और वे भारतीय बीमा बाजार को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?

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