नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) में भारतीय किसानों के हितों का विशेष ध्यान रखा गया है। इस ऐतिहासिक समझौते में डेयरी उत्पादों (dairy products), खाद्य तेल (edible oils) और सेब (apples) जैसे संवेदनशील कृषि उत्पादों को शामिल नहीं किया गया है, ताकि घरेलू किसानों पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। वहीं, दूसरी ओर, भारत के 95 प्रतिशत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (processed food products) के लिए ब्रिटेन के बाज़ार में शून्य शुल्क (zero duty) सुनिश्चित किया गया है। यह समझौता गुरुवार को हस्ताक्षरित किया गया।
प्रमुख कृषि उत्पादों को मिली रियायतें, कुछ पर कोई शुल्क नहीं
एफटीए में जई (oats) पर भी कोई शुल्क रियायत नहीं दी गई है। यह दिखाता है कि भारत ने अपनी कुछ घरेलू कृषि उपज को संरक्षित करने के लिए कठोर रुख अपनाया है।
इसके विपरीत, कई भारतीय खाद्य वस्तुओं को ब्रिटेन के बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच (duty-free access) का लाभ मिलेगा। इनमें शामिल हैं:
* हल्दी (turmeric)
* काली मिर्च (black pepper)
* इलायची (cardamom) जैसे मसाले।
* आम का गूदा (mango pulp)
* अचार (pickles)
* दालें (pulses) जैसी प्रसंस्कृत वस्तुएं।
* झींगा (shrimp)
* टूना (tuna) जैसे समुद्री उत्पाद।
किसानों के लिए बड़ा अवसर: प्रीमियम ब्रिटिश बाज़ार तक पहुंच
एक वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, “भारत के किसान मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सबसे बड़े लाभार्थी बनने के लिए तैयार हैं, जो उनके उत्पादों के लिए प्रीमियम ब्रिटिश बाज़ारों को खोलेगा। इससे उन्हें जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय संघ के देशों के निर्यातकों को पहले से मिल रहे लाभ के बराबर या उससे भी ज़्यादा फायदा मिलेगा।”
वर्तमान में, कृषि के क्षेत्र में ब्रिटेन 37.52 अरब डॉलर मूल्य के उत्पादों का आयात करता है, जबकि भारत से आयात केवल 81.1 करोड़ डॉलर का ही होता है। यह एक बड़ा अंतर है जो भारतीय कृषि निर्यातकों के लिए एक विशाल अप्रयुक्त क्षमता को दर्शाता है।
विभिन्न कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क का प्रभाव
करीब 95 प्रतिशत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य शुल्क लाइन (tariff lines) में फलों, सब्जियों, अनाज; अचार, मसाला मिश्रण, फलों के गूदे; और तैयार भोजन तथा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। इससे ब्रिटिश बाज़ार में इन भारतीय उत्पादों की पहुंच लागत में कमी आएगी, जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और घरेलू किसानों की आय में वृद्धि होगी।
अधिकारी ने कहा, “शुल्क-मुक्त पहुंच से अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो वर्ष 2030 तक भारत के 100 अरब डॉलर के कृषि-निर्यात के लक्ष्य में योगदान देगा।” यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा।
एफटीए कटहल (jackfruit), बाजरा (millets) और जैविक जड़ी-बूटियों (organic herbs) जैसे उभरते उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा देगा, जो भारतीय कृषि की विविधता को वैश्विक मंच पर लाएगा।
नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) को बढ़ावा: समुद्री उत्पादों में शून्य शुल्क
नीली अर्थव्यवस्था के लाभ के संदर्भ में, एफटीए झींगा, टूना, मछली का भोजन और चारे सहित 99 प्रतिशत निर्यात के लिए शून्य-शुल्क पहुंच प्रदान करता है। वर्तमान में इन पर 4.2-8.5 प्रतिशत की सीमा में कर लगाया जाता है। अधिकारी ने बताया, “ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री आयात बाजार के बावजूद, भारत की हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत है, जो एक महत्वपूर्ण अप्रयुक्त निर्यात अवसर को रेखांकित करता है।” इस एफटीए से भारतीय समुद्री उत्पादों को ब्रिटेन के विशाल बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
उच्च-मार्जिन वाले उत्पादों और जीआई सुरक्षा
एफटीए भारत के उच्च-मार्जिन वाले ब्रांडेड उत्पादों (high-margin branded products) जैसे कॉफ़ी, मसाले, पेय पदार्थ और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में भी मदद करेगा।
अधिकारी ने कहा कि ब्रिटेन, भारत की कॉफ़ी का 1.7 प्रतिशत उपभोग करता है, और शुल्क-मुक्त पहुंच से भारतीय इंस्टेंट कॉफ़ी को जर्मनी और स्पेन जैसे यूरोपीय संघ के निर्यातकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। ब्रिटेन, भारतीय चाय (5.6 प्रतिशत) का एक प्रमुख खरीदार है, जबकि मसालों की हिस्सेदारी 2.9 प्रतिशत है। शून्य शुल्क देश की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि “गोवा की फेनी (Goan Feni), नासिक की विशिष्ट वाइन (Nashik’s special wines) और केरल की ताड़ी (Kerala’s Toddy)” जैसे भारतीय पेय अब भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication – GI) सुरक्षा के साथ ब्रिटेन के बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाएंगे। यह भारतीय उत्पादों की विशिष्टता को संरक्षित करेगा और उनके निर्यात मूल्य को बढ़ाएगा।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और राज्य-वार लाभ
एफटीए से भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बड़ी मदद मिलेगी। भारत प्रति वर्ष वैश्विक स्तर पर 14.07 अरब डॉलर के प्रसंस्कृत कृषि और खाद्य उत्पादों का निर्यात करता है। ब्रिटेन 50.68 अरब डॉलर मूल्य की प्रसंस्कृत वस्तुओं का आयात करता है, लेकिन भारतीय उत्पादों का आयात केवल 30.95 करोड़ डॉलर का ही है। यह अंतर भी भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक बड़ी संभावना दर्शाता है।
देश के विभिन्न राज्यों के किसानों को एफटीए से लाभ होने की संभावना है। प्रमुख लाभार्थी राज्य और उनके उत्पाद इस प्रकार हैं:
* महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज)
* गुजरात (मूंगफली, कपास)
* पंजाब और हरियाणा (बासमती चावल)
* केरल (मसाले)
* पूर्वोत्तर राज्य (बागवानी)
यह समझौता भारतीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है, जिससे किसानों की समृद्धि और देश के निर्यात में वृद्धि होगी।