नई दिल्ली: देशभर में GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GST Appellate Tribunal) की पीठों को जल्द से जल्द चालू करने की मांग उठ रही है, ताकि गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) से जुड़े विवादों को तेज़ी से निपटाया जा सके। संसद की एक समिति ने सरकार से इस मामले में एक समयबद्ध दृष्टिकोण (time-bound approach) अपनाने और राज्यों के साथ सक्रिय समन्वय स्थापित करने का सुझाव दिया है।
क्यों है इन पीठों की ज़रूरत?
GST अपीलीय न्यायाधिकरण एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो GST से संबंधित विवादों का निपटारा करती है। देशभर में इसकी पीठों के सक्रिय होने से उच्च न्यायालयों (High Courts) पर मुकदमों का बोझ कम होगा, और करदाताओं (taxpayers) को भी समय पर राहत मिल सकेगी। सरकार ने पहले ही दिल्ली में इसकी प्रधान पीठ और देशभर में 31 राज्य पीठों (31 state benches) के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। पिछले साल, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय कुमार मिश्रा (Sanjay Kumar Mishra) को न्यायाधिकरण का पहला अध्यक्ष भी नियुक्त किया जा चुका है।
समिति ने जताई चिंता: राज्यों की धीमी प्रतिक्रिया
वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस प्रक्रिया में हो रही देरी पर चिंता जताई है। समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब (Bhartruhari Mahtab) कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, न्यायाधिकरण की पीठों के लिए कई राज्यों से अब तक तकनीकी सदस्यों (राज्य) की सिफारिशें नहीं आई हैं। अभी तक केवल उत्तर प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र/गोवा जैसे गिने-चुने राज्यों से ही सिफारिशें मिली हैं।
समिति ने कहा है कि GST विवादों का समय पर निपटारा न होने से उच्च न्यायालयों में मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है, और यह करदाताओं के लिए भी एक बड़ी समस्या है। संसदीय समिति ने वित्त मंत्रालय से इस संबंध में सभी औपचारिकताओं को जल्द पूरा करने की मांग की है।
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