Friday, August 1, 2025

GST को संवेदनशीलता और संतुलित रुख के साथ लागू किया जाए: SBI Research की रिपोर्ट में सलाह

नई दिल्ली: भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू करने के तरीके पर एक महत्वपूर्ण राय सामने आई है। एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा है कि जीएसटी (GST) को संवेदनशीलता और संतुलित रुख के साथ लागू किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यूपीआई लेनदेन (UPI transactions) के मामलों में आक्रामक जांच छोटे कारोबारियों को वापस नकदी-आधारित अर्थव्यवस्था (cash-based economy) में धकेल सकती है, जिससे डिजिटल इंडिया के प्रयासों को झटका लग सकता है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कर्नाटक में छोटे व्यापारियों द्वारा जीएसटी नोटिस के कारण नकदी लेनदेन को प्राथमिकता देने की खबरें सामने आ रही हैं।

जीएसटी की सफलता: छोटे व्यापारियों का सशक्तिकरण

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट जीएसटी में उभरती चुनौतियों के प्रति आगाह करती है। रिपोर्ट मानती है कि इस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था ने देश में अधिक जवाबदेही और राजस्व सृजन (revenue generation) की नींव रखी है। हालांकि, इसकी दीर्घकालिक सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह छोटे व्यापारियों को दंडित करने के बजाय उनके सशक्तिकरण (empowerment) को कैसे सुनिश्चित करती है। भारत जैसे देश में, जहां अनौपचारिक क्षेत्र (informal sector) का बड़ा हिस्सा है, छोटे व्यापारियों को संगठित क्षेत्र में लाना जीएसटी का एक प्रमुख लक्ष्य रहा है।

वर्तमान में, भारत में 1.52 करोड़ से अधिक सक्रिय माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पंजीकरण (active GST registrations) हैं, जो मार्च 2020 में 4.2 करोड़ से बढ़कर 13 करोड़ हुए निवेशकों की संख्या के साथ देश की बढ़ती आर्थिक गतिविधि को दर्शाता है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें: सकारात्मक पहलू और चिंताएं

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में जीएसटी के कई प्रमुख पहलुओं का जिक्र है:

* महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी करदाताओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। पांच में से एक जीएसटी करदाता महिला है। पंजीकृत इकाइयों में 20 प्रतिशत में कम से कम एक महिला सदस्य है, और 14 प्रतिशत ऐसी इकाइयां हैं जिनमें सभी सदस्य महिलाएं हैं। यह आंकड़ा, कुल आयकरदाताओं में महिलाओं की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी और कुल जमा में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ, महिला सशक्तिकरण को दर्शाता है।

* राज्यों का योगदान: शीर्ष पांच राज्य कुल जीएसटी करदाताओं में लगभग 50 प्रतिशत का योगदान करते हैं।

* मुद्रास्फीति पर प्रभाव: जीएसटी लागू होने से महंगाई को कम करने में मदद मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit – ITC) व्यवस्था ने बाजार की गड़बड़ियों को दूर किया है और इसलिए, मुद्रास्फीति पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

कर्नाटक का यूपीआई-जीएसटी विवाद: एक गंभीर मामला

रिपोर्ट में कर्नाटक में हाल के मामले का विशेष रूप से हवाला दिया गया है। बेंगलुरु के कई छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) लेनदेन जैसे डिजिटल पहुंच के आधार पर काफी ज्यादा कर नोटिस मिले। यह घटनाक्रम चिंताजनक है क्योंकि यह डिजिटल लेनदेन को हतोत्साहित कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक यूपीआई-जीएसटी विवाद के बीच, राज्य के छोटे व्यापारी 23 जुलाई से तीन दिन के विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि कर अनुपालन (tax compliance) सुनिश्चित करने के तरीके में सुधार की आवश्यकता है।

एसबीआई रिसर्च ने कहा, “हालांकि, आर्थिक गतिविधियों की अधिक सटीक तस्वीर पेश करने और कर चोरी को कम करने का इरादा सराहनीय है, लेकिन इसे लागू करने में संवेदनशीलता के साथ संतुलित होना चाहिए।”

अत्यधिक आक्रामक जांच का जोखिम

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गई है, “जोखिम यह है कि अत्यधिक आक्रामक जांच छोटे कारोबारियों को असंगठित नकदी-आधारित अर्थव्यवस्था में वापस धकेल सकती है। इससे उन्हें संगठित क्षेत्र में लाने का मूल उद्देश्य ही कमजोर हो जाएगा।” यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है क्योंकि भारत सरकार का एक बड़ा लक्ष्य अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाना रहा है, जिससे कर आधार बढ़े और आर्थिक पारदर्शिता आए। यदि छोटे व्यवसायों को डिजिटल लेनदेन अपनाने पर दंडित किया जाता है, तो वे नकदी-आधारित संचालन में वापस जा सकते हैं, जिससे सरकारी राजस्व और डिजिटल इंडिया पहल दोनों को नुकसान होगा।

आगे की राह: समावेश, पारदर्शिता और निष्पक्ष क्रियान्वयन

रिपोर्ट में कहा गया है कि समावेश (inclusion), पारदर्शिता (transparency) और निष्पक्ष क्रियान्वयन (fair implementation), जीएसटी को सही मायने से लागू करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। यह सलाह जीएसटी की आठवीं वर्षगांठ के साथ मेल खाती है, क्योंकि 1 जुलाई, 2025 को, जीएसटी को लागू हुए आठ साल पूरे हो गए हैं। इन आठ वर्षों में जीएसटी ने निश्चित रूप से राजस्व में वृद्धि की है और कर आधार का विस्तार किया है, लेकिन छोटे व्यवसायों के लिए प्रक्रिया को और अधिक सुलभ और कम बोझिल बनाने की आवश्यकता है।

राज्यों में जीएसटी की संभावनाएं

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट ने विभिन्न राज्यों में जीएसटी की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला है। कुछ राज्यों जैसे तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में सक्रिय जीएसटी करदाताओं की हिस्सेदारी, कुल जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) में राज्य की हिस्सेदारी की तुलना में कम है। यह इंगित करता है कि इन राज्यों में अभी भी जीएसटी पंजीकरण और अनुपालन बढ़ाने की काफी गुंजाइश है।

वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों का कुल जीएसटी करदाताओं में हिस्सा, समग्र जीएसडीपी में राज्य के हिस्से से अधिक है। यह दर्शाता है कि इन राज्यों में जीएसटी का कार्यान्वयन अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी रहा है या उनके आर्थिक ढांचे में जीएसटी के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियां हैं।

कुल मिलाकर, एसबीआई रिसर्च की यह रिपोर्ट जीएसटी के सफर में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आई है, जो भविष्य में इसके क्रियान्वयन के लिए एक संतुलित और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर देती है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments